नई दिल्ली। स्विट्जरलैंड ने चोरी के आंकड़ों के आधार पर दूसरे देशों को उनके नागरिकों के बैंक खातों के बारे में सूचना देने संबंधी नियमों को सरल करने की घोषणा की है। इस कदम से भारत को कालेधन के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी। चोरी के आंकड़ों के आधार पर स्विस अधिकारी अन्य देशों को टैक्स मामलों में सहयोग करेंगे, बशर्ते ये सूचना सामान्य प्रशासनिक सहयोग चैनल या सार्वजनिक सूत्रों के जरिए जुटाई गई हो।
स्विस संघीय परिषद ने इस प्रस्ताव को ऐसे समय स्वीकार किया है, जबकि भारत विदेशों में अपने नागरिकों के जमा धन को वापस लाने का प्रयास कर रहा है। इसी सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा स्विस राष्ट्रपति जोहान श्नाइडर अम्मान के बीच हुई बैठक में भी काले धन का मुद्दा उठा था।
स्विट्जरलैंड सरकार ने कहा कि चोरी के आंकड़ों के आधार पर व्यवहार को सुगम किया जाएगा। एक बयान में उसने कहा कि यदि किसी दूसरे देश द्वारा सामान्य प्रशासनिक सहयोग चैनल या सार्वजनिक सूत्रों के आधार पर जुटाए गए चोरी के आंकड़ों के आधार पर आग्रह किया जाएगा, तो यह संभव होगा। हालांकि, प्रशासनिक सहयोग उस स्थिति में संभव नहीं होगा, जबकि कोई देश सक्रिय तरीके से प्रशासनिक सहयोग प्रक्रिया के बाहर से चोरी के आंकड़े जुटाएगा।
इस बारे में संघीय परिषद ने कर प्रशासनिक सहयोग कानून में संशोधन को स्वीकार किया। इस विधेयक पर स्विस संसद में इसी साल विचार किया जाएगा। स्विट्जरलैंड की पहचान बैंकिंग गोपनीयता के लिए रही है। उस पर लगातार काले धन के प्रवाह पर अंकुश लगाने के लिए अन्य देशों का दबाव पड़ रहा है। वर्ष 2013 में संघीय परिषद ने प्रशासनिक सहयोग व्यवहार को चोरी के आंकड़ों के मामले में आसान करने का सुझाव दिया था, लेकिन उस समय इस प्रस्ताव को ज्यादातर दलों और व्यापारिक संगठनों ने ठुकरा दिया था।
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