लंदन। कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट का असर तेल उत्पादक देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ना शुरू हो गया है। कीमतों में आई गिरावट के चलते तेल उत्पादक देशों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके कारण उनका बजट बिगड़ गया है। जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट के मुताबिक तेल उत्पादक देश इस साल 240 अरब डॉलर (करीब 16,23,992 करोड़ रुपए) की इंटरनेशनल संपत्ति बेच सकते हैं। इन संपत्तियों में ज्यादातर स्टॉक्स और बॉन्ड्स हैं। जेपी मॉर्गन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तेल उत्पादक देश फॉरेन रिजर्व एक्सचेंज और वैल्थ फंड को बेच कर अपने नुकसान की भरपाई करेंगे। रिपोर्ट के अनुसार सरकारी बॉन्ड्स के जरिये 20 बिलियन डॉलर की राशि जुटाने की संभावना है। वहीं तेल की गिरती कीमतों के कारण उत्पादक देशों को 260 बिलियन डॉलर का नुकसान होने की आशंका है।
ट्रेजरी, बॉन्ड्स समेत बेचना पड़ सकता है रियल एस्टेट
आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए अरब देश 110 बिलियन डॉलर की अमेरिकी ट्रेजरी और अन्य बॉन्ड्स को बेचने का फैसला कर सकते हैं। साथ ही 75 बिलियन डॉलर के इक्विटी निवेश बिक्री की भी संभावना है। जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट में कहा गया है कि तेल की गिरती कीमतों के चलते उत्पादक देशों को अपने खर्चों को पूरा करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। ऐसे में पैसे जुटाने के लिए उन्हें अन्य असेट्स जैसे कैश, रियल एस्टेट और प्राइवेट इक्विटी को भी बेचने जैसा कदम उठाना पड़ सकता है।
वीडियो में देखिए कच्चे तेल की गिरती कीमतों से किसे फायदा और किसे नुकसान
140 अरब डॉलर घटेगा तेल उत्पादक देशों का रेवेन्यू
रिपोर्ट के मुताबिक, कई देश इस साल अपना फॉरेन रिजर्व बेचकर पूंजी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके जरिये वह 100 अरब डॉलर की रकम जुटा सकते हैं। जेपी मॉर्गन ने 2016 के लिए कच्चे तेल की कीमत के अनुमान को घटाकर औसत 31 डॉलर प्रति बैरल कर दिया है। पिछले साल यह अनुमान 53 डॉलर प्रति बैरल था। इसके कारण तेल उत्पादक देशों का रेवेन्यू 440 अरब डॉलर से घटकर 300 अरब डॉलर रह गया है। डिमांड के मुकाबले सप्लाई ज्यादा होने के कारण इस महीने ब्रेंट क्रूड की कीमतों में 22 फीसदी गिरावट दर्ज की गई। फिलहाल ब्रेंट क्रूड की कीमत 12 साल के निचले स्तर पर है। तेल की कीमतों में आई गिरावट ने पूरी दुनिया को मंदी की ओर धकेल दिया है।