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विदेशी संकेतों से बीते सप्ताह खाद्य तेल कीमतों में बढ़त दर्ज, सोयाबीन तेल रिकॉर्ड स्तरों पर

बीते सप्ताह विशेषकर सोयाबीन दाने की किल्लत के कारण इस तेल के भाव रिकॉर्ड स्तर पर जा पहुंचे। इसी तरह सरसों की मंडियों में आवक कम होने से सरसों तेल-तिलहन के भाव भी मजबूत हुए

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: July 25, 2021 14:22 IST
बीते सप्ताह खाद्य तेल...- India TV Paisa
Photo:PTI

बीते सप्ताह खाद्य तेल कीमतों में  बढ़त

नई दिल्ली। विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के साथ त्योहारी मांग निकलने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों, सोयाबीन सहित लगभग सभी तेल-तिलहनों में बढ़त दर्ज हुई। बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह विशेषकर सोयाबीन दाने की किल्लत के कारण इस तेल के भाव रिकॉर्ड स्तर पर जा पहुंचे। इसी तरह सरसों की मंडियों में आवक कम होने से सरसों तेल-तिलहन के भाव भी मजबूत हो गये। 

सूत्रों के मुताबिक आमतौर पर सोयाबीन तेल का भाव सरसों से लगभग पांच रुपये किलो नीचे रहता था, लेकिन इस बार सोयाबीन तेल के भाव सरसों से लगभग 15 रुपये किलो अधिक चल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सोयाबीन से तेल की प्राप्ति लगभग 18 प्रतिशत की होती है, जबकि सरसों से तेल प्राप्ति 40-42 प्रतिशत की होती है।  इस बार किसानों को जो समर्थन मिला है उसे देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि आगामी सत्र में सरसों का उत्पादन लगभग दोगुना बढ़ जायेगा। सोयाबीन का उत्पादन कम रहने से सोयाबीन की किल्लत है और जो उत्पादन हुआ भी है उसमें काफी मात्रा में माल दागी है जिसे सोयाबीन की बड़ियां बनाने वाली कंपनियां कम इस्तेमाल में लाती हैं। इसके अलावा इस बार सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) का जून महीने तक निर्यात पिछले साल के मुकाबले लगभग 300 प्रतिशत बढ़ने से डीओसी की स्थानीय मांग को पूरा करने में मुश्किल आ रही है। इन सब कारणों से सोयाबीन के भाव काफी चढ़े हुए हैं। 

सोयाबीन की बढ़ती मांग को देखते हुए समीक्षाधीन सप्ताह में राजस्थान के नीमच में सोयाबीन दाना का प्लांट डिलिवरी भाव 9,225 रुपये क्विन्टल हो गया जो एक रिकॉर्ड है। जबकि महाराष्ट्र के नांदेड में सोयाबीन दाना का प्लांट डिलिवरी हाजिर भाव 9,600 रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। सोयाबीन की अगली फसल अक्टूबर में आयेगी। उन्होंने कहा कि सोयाबीन दाने की कमी की वजह से राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे कई स्थानों पर तेल पेराई मिलें लगभग 80 प्रतिशत की संख्या में बंद हो चुकी हैं। विदेशों में तेजी के अलावा गर्मी के बाद बरसात के मौसम की मांग के साथ-साथ त्योहारी और शादी-विवाह की मांग बढ़ने से भी कीमतों में सुधार दिखा। सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह सरसों की कमी का सामना भी करना पड़ा। देश में सरसों की खपत के लिए प्रतिदिन तीन से साढ़े तीन लाख बोरी की मांग होती है लेकिन मंडियों में आवक लगभग दो लाख बोरी की ही है। पेराई मिलों के पास सीमित मात्रा में सरसों का स्टॉक है जबकि व्यापारियों के पास सरसों का स्टॉक नहीं है। अचार बनाने वाली कंपनियों, त्योहारी मांग और हरी सब्जियों के मौसम की मांग है जो आगे और बढ़ने ही वाली है। 

सरसों संवर्धन परिषद के एक विशेषज्ञ ने कहा कि सरसों की अगली फसल आने में लगभग सात-आठ महीने की देर है और मार्च-अप्रैल के दौरान सरसों से रिफाइंड बनाये जाने के कारण सरसों की मौजूदा किल्लत हुई है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में सरसों की किल्लत और बढ़ेगी। सरसों दाने की कमी होने की वजह से सलोनी, आगरा और कोटा में इसका भाव पिछले सप्ताह के 8,000 के मुकाबले बढ़कर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 8,200 रुपये क्विन्टल हो गया। उन्होंने कहा कि मुर्गी दाने की दिक्कत को देखते हुए महाराष्ट्र में सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) का भाव पिछले सप्ताह के 7,100 रुपये से बढ़कर समीक्षाधीन सप्ताह में 8,200 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया।

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