नई दिल्ली। भारत में पेट्रोल की कीमतों में लगातार बढ़त जारी है और संकेत है कि इसमें जल्द राहत की कोई उम्मीद नहीं है। कच्चे तेल की कीमतों में तेजी बनी हुई है और क्रूड लगातार तीसरी साप्ताहिक बढ़त की दिशा में है। शुक्रवार के कारोबार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त का रुख बना हुआ। दरअसल आगे मांग में दवाब रहने की आशंका को देखते हुए तेल उत्पादक देशों ने उत्पादन को तय सीमा के अंदर रखने के लिए अतिरिक्त प्रयास शुरु कर दिए हैं।
शुक्रवार को डब्लूटीआई क्रूड फ्यूचर 0.3 फीसदी की बढ़त के साथ 43 डॉलर प्रति बैरल के स्तर के करीब पहुंच गया. वहीं ब्रेंट क्रूड 0.4 फीसदी की बढ़त के साथ 45 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया। अगर कीमतें इसी स्तर के करीब रहती हैं तो डब्लूटीआई क्रूड में इस हफ्ते 2 फीसदी और ब्रेंट क्रूड में आधा फीसदी की बढत दर्ज हो सकती है। पिछले हफ्ते डब्लूटीआई क्रूड में करीब 2 फीसदी की बढ़त रही थी।
तेल कीमतों में बढत उन खबरों के बाद देखने को मिली हैं, जिसके मुताबिक ओपेक प्लस देशों ने तेल के उत्पादन को सीमा में रखने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक संगठन ये सुनिश्चित कर रहा है कि जिन देशों ने तय सीमा से ज्यादा कच्चे तेल का उत्पादन किया है वो अपना उत्पादन रोकें या फिर कम कर कुल उत्पादन को तय सीमा में लेकर आएं। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्पादन को सीमा में रखने के लिए सदस्य देशों को उत्पादन 23 लाख बैरल प्रतिदिन के हिसाब से घटाना होगा।
कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त से भारत में पेट्रोल की कीमतों में लगातार तेजी जारी है। पिछले 6 में से 5 दिन पेट्रोल की कीमतें बढ़ी हैं। अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त जारी रहती है तो पेट्रोल की कीमतों में भी बढ़त संभव है। दरअसल पेट्रोल कीमतों में एक बड़ा हिस्सा सरकार की आय के रूप में जाता है, कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने पर सरकार अपने हिस्से में कटौती कर ईंधन की खुदरा कीमतों को नियंत्रित रखती है। हालांकि कोरोना संकट की वजह से सरकारी खजाने पर दबाव से सरकार के पास भी विकल्प काफी सीमित हैं, इस वजह से पेट्रोल की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है।