नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर से निपटने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों ने तैयारी कर ली है। ये कंपनियां अगले साल अप्रैल से यूरो-6 स्तर का ईंधन उपलब्ध कराने के लिये तैयार हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की तीनों तेल कंपनियां अपनी मथुरा, बीना और बठिंडा रिफाइनरियों से अप्रैल से भारत स्टेज-6 मानक वाले पेट्रोल, डीजल की आपूर्ति करेंगी।
इंडियन आयल कारपोरेशन (IOC) के चेयरमैन संजीव सिंह ने आज यहां कहा, ‘‘हम एक अप्रैल से दिल्ली की जरूरत को पूरा करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें बीएस-6 मानक ईंधन की आपूर्ति के लिये ईंधन उत्पादन स्लेट बदलनी होगी।’’ देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी आईओसी उत्तर प्रदेश स्थित अपनी मथुरा रिफाइनरी से बीएस-6 ईंधन उपलब्ध करायेगी।
वहीं हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लि. (HPCL) पंजाब के बठिंडा स्थित संयुक्त उद्यम रिफाइनरी से यह करेगी। भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन (BPCL) मध्य प्रदेश स्थित बीना रिफाइनरी से इस ईंधन की आपूर्ति करेगी। सिंह ने कहा, ‘‘दिल्ली की जरूरत के हिसाब से बीएस-6 स्तर के पेट्रोल, डीजल की जरूरत को पूरा करने में समस्या नहीं होगी।’’
हालांकि, उन्होंने कहा कि समूचे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की जरूरत को पूरा करना चुनौती है क्योंकि यह क्षेत्र देश के कुल ईंधन का करीब 10 प्रतिशत खपत करता है। देश में अप्रैल 2020 से यूरो-6 मानकों वाले ईंधन की आपूर्ति का निर्णय किया गया था। यह फैसला 2015 में लिया गया। यूरो-4 श्रेणी के ईंधन को उपयोग में लाने के बाद सीधे यूरो-छह मानक को इस्तेमाल में लाने का फैसला किया गया।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए पिछले सप्ताह ही यह फैसला किया कि यूरो-छह को 2020 के बजाय अप्रैल 2018 से ही उपयोग में लाया जाये। हालांकि, यह फैसला केवल राष्ट्रीय राजधानी के लिये किया गया है। तेल कंपनियों से एक अप्रैल 2019 से पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (गाजियाबाद, नोएडा, गुड़गांव और फरीदाबाद) में बीएस-6 स्तर के ईंधन की आपूर्ति की संभावना टटोलने को भी कहा गया है। यूरो-6 स्तर के ईंधन में सल्फर की मात्रा 10 पीपीएम (पार्ट प्रति 10 लाख) है जो यूरो-4 में 5 पीपीएम है।
सिंह के अनुसार दिल्ली में 2016-17 में 9,06,000 टन पेट्रोल और 12.6 लाख टन डीजल की खपत हुई। देश भर में बीएस-4 स्तर के ईंधन की आपूर्ति एक अप्रैल 2017 से शुरू की गयी।