नई दिल्ली। तेल कंपनियां कर्नाटक चुनाव के तुरंत बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि करने पर विचार कर रही हैं। पिछले काफी लंबे समय से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। एक अंग्रेजी न्यूज चैनल ने सूत्रों के हवाले से बताया कि 13 मई से पेट्रोल और डीजल दोनों ही 1.5 रुपए प्रति लीटर तक महंगे हो जाएंगे। 12 मई को कर्नाटक में मतदान होना है। तेल विपणन कंपनियां प्रति लीटर 3 रुपए की बढ़ोतरी करना चाहती हैं, लेकिन इतनी अधिक वृद्धि होने से जनता का गुस्सा भड़कने की आशंका से कंपनियां ऐसा करने से डर रही हैं।
तेल कंपनियों ने 24 अप्रैल से पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में कोई वृद्धि नहीं की है। हालांकि, गुरुवार को इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के प्रमुख ने मूल्य वृद्धि को रोकने और कर्नाटक चुनाव के बीच किसी भी संबंध से इनकार किया और इसे केवल एक संयोग बताया। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के चेयरमैन संजीव सिंह ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 24 अप्रैल से बदलाव नहीं करना इन्हें स्थिर बनाने के उद्देश्य से उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक चुनावों के समय यह होना महज संयोग है।
दिल्ली में पेट्रोल 74.63 रुपए प्रति लीटर और डीजल 65.93 रुपए प्रति लीटर पर बिक रहा है। सरकार ने जून 2010 में पेट्रोल की कीमतों को नियंत्रण मुक्त करते हुए इसे बाजार के हवाले कर दिया था। वहीं डीजल को अक्टूबर 2014 में सरकार के नियंत्रण से आजादी दी गई। तब से ईंधन की कीमतें अंतरराष्ट्रीय कीमत के अनुरूप घटती या बढ़ती रहती हैं।
गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले दिसंबर 2017 के पहले 15 दिनों में तेल कंपनियों ने प्रतिदिन ईंधन की कीमतों में 1-3 पैसे प्रति लीटर की कटौती की। इसके बाद 14 दिसंबर को मतदान पूरा होते ही कंपनियों ने तत्काल कीमतों को बढ़ाना शुरू कर दिया। इससे इन अनुमानों को बल मिला कि सरकार ने तेल कंपनियों से ऐसा करने को कहा होगा, जिससे चुनावों में उसे फायदा मिल सके। अब यही रणनीति दोबारा से कर्नाटक चुनाव में भी दोहराने का सभी अनुमान लगा रहे हैं।