नई दिल्ली। पेरिस में होने वाले जलवायु परिवर्तन सम्मेलन शुरू होने से ठीक पहले आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने ओईसीडी की रिपोर्ट को बहुत त्रुटिपूर्ण और अस्वीकार्य बताया है। इस रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन की रोकथाम और मुकाबले के लिए 2020 तक सालाना 100 अरब डॉलर के फाइनेंसिंग योजना पर उल्लेखनीय प्रगति का दावा किया गया है। हाल में लीमा में वर्ल्ड बैंक – आईएमएफ की बैठकों के दौरान भारत ने जलवायु फाइनेंसिंग का मुद्दा उठाया था।
ओईसीडी की रिपोर्ट में खामियां
शक्तिकांत दास ने कहा है कि भारत ने फाइनेंसिंग के मुद्दे पर प्रगति संबंधी ओईसीडी की रिपोर्ट के दावे की सच्चाई पर सवाल उठाया था। इसमें कहा गया था कि फाइनेंसिंग की योजना पर काफी प्रगति हुई है। उन्होंने आर्थिक मामलों के विभाग की जलवायु परिवर्तन वित्त इकाई द्वारा ओईसीडी की ताजा रिपोर्ट पर एक परिचर्चा पत्र -क्लाइमेट चेंज फाइनेंस, एनालिसिस आफ ए रिसेन्ट ओईसीडी रिपोर्ट: सम क्रेडिबल फैक्ट्स नीडेड की प्रस्तावना में अपने ये विचार रखे थे। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा है, वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग की जलवायु परिवर्तन वित्त इकाई और उसके विशेषग्यों ने यह कहा है कि ओईसीडी रिपोर्ट में प्रगति के बारे में बातों को बढ़ा-चढ़ाकर कहा गया है।
जलवायु परिवर्तन ने निपटने के लिए सही सिस्टम बनाने की जरूरत
शक्तिकांत दास ने कहा, हमें विकसित देशों से विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए मिलने वाली वित्तीय सहायता की सही मात्रा के आंकलन की विश्वसनीय, सच्ची और सत्यापन योग्य प्रणाली स्थापित करने की जरूरत है। ओईसीडी ने क्लाइमेट पालिसी इनिशिएटिव (ओईसीडी-सीपीआई) के साथ मिलकर हाल ही में क्लाइमेंट फाइनेंस फाइनेंस इन 2013-14 तथा यूएसडी 100 बिलियन गोल शीर्षक से रिपोर्ट जारी की। पत्र में दावा किया गया है कि इस संबंध में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार विकसित देशों से विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन वित्त पोषण 2014 में 62 अरब डालर तथा 2013 में 52 अरब डॉलर पहुंच गया। यह सालाना 57 अरब डालर के औसत के बराबर है।