नई दिल्ली। विकसित औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं के मंच ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इकनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) ने भारत को कंपनियों पर आयकर की दर घटा कर 25 प्रतिशत करने का सुझाव दिया है। इतना ही नहीं उत्तराधिकार शुल्क लगाने और नियमों को सुनिश्चित करने को भी कहा। पेरिस स्थिति इस संगठन ने यह भी कहा है कि नोटबंदी से भारतीय अर्थव्यवस्था को दीर्घकाल में फायदा होगा।
ओईसीडी ने इकनॉमिक सर्वे ऑफ इंडिया शीर्षक अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कर सुधारों से, खासकर प्रस्तावित नई वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली जीएसटी से सभी इकाइयों के लिए सुविधा होगी, सरकार का राजस्व सुधरेगा जिससे वह गरीबी की बड़ी समस्या से कारगर तरीके से निपट सकेगी।
संगठन का कहना है कि भारत में गरीबी का अनुपात अब भी उंचा बना हुआ है। रिपोर्ट में स्थिति में सुधार के लिए कृषि उत्पादन में वृद्धि, शहरी ढ़ांचागत सुविधाओं में सुधार और श्रम व उत्पाद बाजार के नियमों को उदार बनाने पर ध्यान देने का सुझाव दिया गया है।
सर्वे में कहा गया है कि जीएसटी सुधार के साथ साथ सम्पत्ति, व्यक्तिगत आयकर और कॉरपोरेट कर के क्षेत्र में भी व्यापक सुधार की जरूरत है। इसमें कहा गया है कि इसका लक्ष्य यह होना चाहिए कि इससे सामाजिक और भौतिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए ज्यादा राजस्व प्राप्त हो ताकि आर्थिक गतिविधियों, सामाजिक न्याय, निचले स्तर की सरकारों के सशक्तीकरण को बढ़ावा दिया जा सके और स्थानीय आवश्यकताओं को अधिक अच्छे तरीके से पूरा किया जा सके।
- ओईसीडी ने कंपनी आयकर की दर को धीरे धीरे 30 से घटा कर 25 प्रतिशत लाने और कराधार के विस्तार की सिफारिश की है।
- सर्वे में नियमों और उनके अनुपालन में निश्चितता लाने पर बल है।