नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की सलाह पर नुस्ली वाडिया ने रतन टाटा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दर्ज अवमानना का मामला सोमवार को वापस ले लिया। प्रधान न्यायाधीश बोबडे ने वाडिया समूह के चेयरमैन के इस कदम की प्रशंसा की। न्यायमूर्ति बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "हम इसकी प्रशंसा करते हैं।" पीठ में दो अन्य सदस्य न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत थे।
टाटा के वकील ने भी शीर्ष अदालत में बयान दिया कि वाडिया का अपमान करने का कोई उद्देश्य नहीं था। शीर्ष अदालत ने पिछले सप्ताह पाया था कि उसे इन आरोपों और इस मामले के कारणों की जानकारी नहीं है। बोबडे ने कहा, "आप दोनों को बात करनी चाहिए।" कोर्ट ने जोर देकर कहा था कि यह सलाह एक विचार है, क्योंकि इस मामले में कोई कानून नहीं है।
सायरस मिस्त्री मामला खुलने के बाद टाटा के स्वतंत्र निदेशक के पद से हटाए जाने के बाद वाडिया ने आपराधिक अवमानना मामला दर्ज कराया था। टाटा ने लगातार यही बात कही थी कि उनका अपमान करने का कोई उद्देश्य नहीं था। वरिष्ठ अधिवक्ता सी.ए. सुंदरम ने कोर्ट को बताया कि अगर दूसरा पक्ष उन पर लगाए आरोप वापस ले तो उनका मुवक्किल मामला वापस लेना चाहता है।
प्रधान न्यायाधीश ने वाडिया और टाटा के बीच शांति की वकालत करने की कोशिश की और सलाह दी कि कोर्ट बंबई हाईकोर्ट के निष्कर्ष को मान सकता है कि टाटा का वाडिया का अपमान करने का कोई उद्देश्य नहीं था। प्रधान न्यायाधीश ने वाडिया के वकील से पूछताछ की थी। कोर्ट ने वाडिया के वकील से पूछा, "दूसरे पक्ष को आपके संबंध में कोई शिकायत है, और वे कानून के अनुसार कार्रवाई कर सकते हैं। यह मानहानि कैसे हो सकती है।"
2016 में रतन टाटा के खिलाफ दर्ज हुआ था केस
नुस्ली वाडिया ने स्वतंत्र निदेशक के पद से हटाए जाने के बाद रतन टाटा के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज कराया था। वाडिया पहले टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और टाटा केमिकल्स के बोर्ड्स में इंडिपेंडेंट डायरेक्टर थे। 2016 में स्वतंत्र निदेशक के पद से हटाए जाने के बाद स्ली वाडिया ने रतन टाटा और अन्य के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज करवया था। जुलाई 2019 ने बॉम्बे हाईकोर्ट ने आपराधिक अवमानना को रदद् कर दिया था। बॉबे हाइकोर्ट के फैसले को नुस्ली वाडिया ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।