नई दिल्ली। देश के ताप बिजली संयंत्रों में कोयला भंडार की स्थिति सुधर रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कोयला खदानों से दूर स्थित ऐसी बिजली परियोजनाएं जिनके पास चार दिन से कम (सुपर क्रिटिकल स्टॉक) का कोयला भंडार है, की संख्या सोमवार को घटकर 58 पर आ गई है। एक सप्ताह पहले ऐसे बिजली संयंत्रों की संख्या 69 थी। यानि इस अवधि में 11 संयंत्रो का कोयला स्टॉक बढ़ा है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के कोयला भंडार पर ताजा आंकड़ों के अनुसार, चार दिन से कम के कोयला भंडार वाली परियोजनाओं की संख्या 18 अक्टूबर को घटकर 58 रह गई। 11 अक्टूबर को चार दिन से कम भंडार वाली परियोजनाओं की संख्या 69 थी। आंकड़ों से पता चलता है कि 17 अक्टूबर, रविवार को ऐसे बिजली संयंत्रों की संख्या 61 थी। इन आंकड़ों से पता चलता है कि बिजली संयंत्रों को कोयला आपूर्ति की स्थिति में सुधार आ रहा है। सीईए 135 ताप बिजली संयंत्रों में कोयला भंडार की स्थिति पर नजर रखता है। इन संयंत्रों की सामूहिक उत्पादन क्षमता 1,65,000 मेगावाट की है।
आज ही कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव तथा बिजली मंत्री आर के सिंह के साथ ताप बिजलीघरों में ईंधन भंडार में सुधार के उपायों पर चर्चा की। यह बैठक ताप बिजलीघरों में कोयले की कमी के बीच हुई है। जोशी ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘मंत्री अश्विनी वैष्णव जी और राज कुमार सिंह जी के साथ ऑनलाइन बैठक हुई। बैठक में कोयला मंत्रालय के अधिकारी, कोयला कंपनियों के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक तथा अन्य अधिकारी शामिल हुए।’’ कोयला मंत्रालय ने कोल इंडिया की इकाई नार्दर्न कोलफील्ड्स लि.(एनसीएल) के प्रदर्शन की भी समीक्षा की तथा उत्पादन बढ़ाने एवं प्रतिदिन कम-से-कम 34 रैक कोयले की आपूर्ति करने को कहा।’’ जोशी ने लिखा है, ‘‘सीएमडी के साथ एनसीएल सिंगरौली के कामकाज की आज समीक्षा की। एनसीएल को उत्पादन बढ़ाने और कम-से-कम 34 रैक प्रतिदिन लदान का निर्देश दिया। इसके बाद एनसीएल के कोयला खदानों का दौरा करूंगा और कर्मचारियों से बातचीत कर उन्हें कोयला उत्पादन और आपूर्ति बढ़ाने के लिये प्रेरित करूंगा।’’
अक्टूबर की शुरुआत में देश में कोयले की किल्लत की वजह से बिजली संकट की आशंका बन गयी थी। एक समय देश के आधे से ज्यादा पावर स्टेशन में कोयले का स्टॉक गंभीर स्थिति तक गिर गया था। आयातित कोयले पर आधारित कई संयंत्रों में कामकाज ठप पड़ा था। वहीं घऱेलू कोयले पर आधारित पावर संयंत्रों पर बोझ 30 प्रतिशत तक बढ़ गया। हालांकि सरकार ने कोयले की किल्लत की कमी की बात गलत बताते हुए कहा कि बारिश के कारण सप्लाई पर असर और राज्यों द्वारा समय पर स्टॉक तैयार न करने से ये समस्या आई है।