नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत लगातार दो दशक तक तेज विकास दर हासिल कर सकता है। भारत के पास वैश्विक अर्थव्यवस्था की सालाना वृद्धि दर से पांच प्रतिशत अधिक विकास दर बनाए रखने की क्षमता है। जेटली ने शुक्रवार को ‘जागरण फोरम’ में यह बात कही। जेटली ने कहा कि भारत लगातार दो दशक तक सात-आठ प्रतिशत विकास दर जारी रख सकता है। उन्होंने कहा कि विकसित देशों में वृद्धि के रास्ते कम होते हैं लेकिन हमारे देश में अभी कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां विकास की गुंजाइश है। जेटली ने उदाहरण देते हुए कहा कि कानपुर के पश्चिम में ग्रोथ है जबकि पूरब में अभी बहुत गुंजाइश है। पूरब में स्थित प्रदेशों मसलन, उड़ीसा, झारखंड और छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान हैं और जहां खनिज संसाधन भी हैं। ऐसे में यहां विकास की पूरी संभावनाएं हैं।
जेटली ने कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले भारत के लिए पॉलिसी पैरालिसिस और फ्रेजाइल फाइव जैसे विशेषणों का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन चार साल में ही भारतीय अर्थव्यवस्था 10वें नंबर से छठे नंबर पर आ गयी है। फ्रांस से इसी साल आगे निकल आए हैं। अगले साल इग्लैंड से आगे बढ़ जाएंगे। अगले कुछ वर्षों में भारत, अमेरिका और चीन के बाद तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। अर्थव्यवस्था को संगठित बनाने की जरूरत पर बल देते हुए जेटली ने कहा कि मोदी सरकार जब सत्ता में आई उस समय देश में महज 3.8 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल होते थे, लेकिन इस साल यह आंकड़ा बढ़कर 6.8 करोड़ हो गया है। मोदी सरकार अगले साल जब पांच साल पूरी करेगी तब तक आयकर रिटर्न की संख्या दोगुनी यानी 7.6 करोड़ हो जाएगी। उन्होंने कहा कि देश में 10 से 12 करोड़ के कर आधार (टैक्स बेस) की क्षमता है। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद पहले साल ही इसके तहत करदाता आधार 75 फीसदी बढ़ गया है।
कर के बोझ को लेकर जेटली ने सवाल किया कि पांच साल में कौन सा टैक्स बढ़ा है। एक साल में 334 आइटम पर पर रेट घटाया। 80 हजार करोड़ रुपए की राहत दी। पांच प्रतिशत इनकम टैक्स पूरी दुनिया में न्यूनतम है। एक प्रतिशत टैक्स कंपाउंडिंग के लिए भी न्यूनतम है। ऐसा पूरी दुनिया में कहीं नहीं मिलेगा। वित्तमंत्री ने नोटबंदी के फायदे गिनाते हुए कहा कि जब लेन-देन नकद में होता है तो वह गुमनाम होता है, लेकिन बैंक में डालते ही गुमनामी समाप्त हो जाती है। नोटबंदी के परिणामस्वरूप 18 लाख खाताधारक पकड़े गए हैं जिन्होंने नोटबंदी के दौरान ज्ञात स्रोत से अधिक नकदी जमा की थी।
जेटली ने कहा कि संविधान में हमारे देश की परिभाषा राज्यों के संघ के रूप में दी गयी है। देश को एकजुट रखने के लिए एक मजबूत संघ की आवश्यकता है। अगर संघ आर्थिक या राजनीतिक रूप से कमजोर हो जाता है तो यह राज्यों का संघ नहीं बल्कि राज्यों का महासंघ बनकर रह जाएगा। उन्होंने इस आरोप को खारिज किया कि हाल के वर्षों में राज्यों को मिलने वाली धनराशि में कमी आयी है। जेटली ने उदाहरण देते हुए बताया कि जीएसटी के जरिए जितना टैक्स वसूला जाता है उसका लगभग 80 प्रतिशत राज्यों के पास चला जाता है जबकि केंद्र के पास बमुश्किल 20 फीसदी शेष बचता है। उन्होंने कहा कि जीएसटी की आधी राशि आते ही राज्यों के पास चली जाती है उसके बाद जो आधी राशि केंद्र के पास आती है उसमें से राज्यों को केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में 42 फीसदी राशि चली जाती है। इसके बाद केंद्र के पास जो धनराशि बचती है उसमें से केंद्र प्रायोजित योजनाओं के रूप में भी राज्यों के पास धनराशि जाती है। इस तरह केंद्र के पास जो राशि बचती है उसमें से भी नेशनल हाइवे और गांव की सड़कें भी बनाने जैसे कार्य किए जाते हैं।