नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान भारत में अरबपतियों की संख्या इनकम टैक्स रिटर्न में घोषित सकल कुल आय के आधार पर घटकर 136 रह गई, जो इससे पहले 2019-20 में 141 थी।
राज्य सभा में एक प्रश्न के उत्तर में निर्मला सीतारमण ने कहा आयकर विभाग को वित्त वर्ष 2018-19 में जमा कराए गए आयकर विवरण में एक वर्ष में अपनी सकल कुल आय 100 करोड़ रुपये से अधिक की घोषणा करने वाले व्यक्तियों की संख्या 77 थी। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) के पास उपलब्ध जानकारी के मुताबिक प्रत्यक्ष कर के तहत अरबपति शब्द की कोई कानूनी या प्रशासनिक परिभाषा तय नहीं की गई है।
वित्त मंत्री ने कहा कि 1 अप्रैल 2016 से वेल्थ टैक्स को खत्म कर दिया गया है और इसके बाद सीबीडीटी ने व्यक्तिगत करदाताओं की संपत्ति के बारे में जानकारी एकत्रित करना बंद कर दिया है। आधिकारिक गरीबी आंकड़ों को साझा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा तेंदुलकर समिति की गणना के अनुसार भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों की संख्या 2011-12 में लगभग 27 करोड़ थी।
उन्होंने कहा कि सरकार ने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास नारे के साथ कई योजनाओं की शुरुआत की है जिनका लक्ष्य लोगों के जीवन गुणवत्ता को बेहतर बनाना और समेकित विकास को बढ़ावा देना है।
एक अन्य प्रश्न के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि मूल्य स्थिति पर निरंतर सरकार द्वारा निगरानी की जाती है और मूल्य स्थिरीकरण के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें खाद्यन्न जिंसों की मांग-आपूर्ति को पूरा करने के लिए आपूर्ति बढ़ाने जैसे कदम शामिल हैं।
सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को कम किया है, दालों एवं खाद्य तेलों के लिए आयात नीति को उदार बनाया है, आपूर्तिकर्ता देशों के साथ दालों के आयात के लिए समझौते किए हैं, दालों पर स्टॉक लीमिट लगाई है और दालों के बफर स्टॉक से राज्यों को आपूर्ति और खुले बाजार बिक्री के जरिये कीमतों को नियंत्रित किया है।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में सीतारमण ने कहा कि 2020-21 में अर्बन सहकारी बैंकों में धोखाधड़ी के 323 मामले सामने आए हैं। 2019-20 में इनकी संख्या 568 थी। इसी प्रकार राज्य सहकारी बैंकों में धोखाधड़ी मामलों की संख्या 2020-21 में घटकर 482 हो गई, जो एक साल पहले 508 थी। सीतारमण ने बताया कि कोविड-19 उपचार के लिए सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों द्वारा 1.33 लाख लोगों को असुरक्षित ऋण प्रदान किया गया है।
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