नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का फंसा हुआ कर्ज (एनपीए) 30 सितंबर, 2019 तक 7.27 लाख करोड़ रुपए है। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में बताया कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और चुनिंदा वित्तीय संस्थानों ने चाल वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान कुल 1,13,374 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की जानकारी दी है।
प्रश्नकाल के दौरान ठाकुर ने कहा कि तनावग्रस्त संपत्तियों की पहचान एनपीए के रूप में करने की पारदर्शी प्रक्रिया के परिणामस्वरूप वैश्विक परिचालन पर आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक सार्वजनिक बैंकों का सकल एनपीए 31 मार्च, 2015 के 2,79,016 करोड़ रुपए से बढ़कर 31 मार्च, 2017 को 6,84,732 करोड़ और 31 मार्च, 2018 को 8,95,601 करोड़ रुपए था।
उन्होंने कहा कि सरकार की पहचान, समाधान, पुनर्पु्ंजीकरण और सुधारों की रणनीति के परिणामस्वरूप 30 सितंबर, 2019 तक सार्वजनिक बैंकों का एनपीए 1,68,305 करोड़ रुपए घटकर 7,27,296 करोड़ रुपए रह गया है।
मंत्री ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी वित्तीय स्थिरिता रिपोर्ट, दिसंबर 2019 में बताया है कि धोखाधड़ी के लिए व्यवस्थित और व्यापक जांच ने पिछले कई वर्षों से चली आ रही धोखाधड़ी को पकड़ने में मदद की है।
उन्होंने बताया कि धोखाधड़ी की रकम को 1 लाख रुपए और इससे अधिक का करने से अनुसूचित वाणिज्य बैंकों और चुनिंदा वित्तीय संस्थानों के साथ होने वाली धोखाधड़ी में वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2016-17 में यह राशि 23,934 करोड़ रुपए, वित्त वर्ष 2017-18 में 41,167 करोड़ रुपए, वित्त वर्ष 2018-19 में 71,543 करोड़ रुपए और चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 1,13,374 करोड़ रुपए है।