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RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने जताई एनपीए बढ़ने की आशंका, डी सुब्‍बाराव ने दिया सरकार को ये सुझाव

डी सुब्बाराव ने कहा है कि मानसून अनुकूल रहने की संभावना के बीच सरकार को कृषि क्षेत्र के प्रदर्शन का लाभ उठाकर वृद्धि को प्रोत्साहन देने की जरूरत है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: July 15, 2020 8:45 IST
NPAs may witness unprecedented increase in 6 months,says Raghuram Rajan- India TV Paisa
Photo:GOOGLE

NPAs may witness unprecedented increase in 6 months,says Raghuram Rajan

नई दिल्‍ली। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को कहा कि अगले छह महीने में बैंकों के फंसे कर्ज यानी एनपीए में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि समस्या को जितनी जल्दी पहचान लिया जाए, उतना अच्छा होगा। कोविड-19 और उसकी रोकथाम के लिए लॉकडाउन से कंपनियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और उनमें से कई कर्ज की किस्त लौटाने में कठिनाइयों का सामना कर रही हैं।

राजन ने नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड एकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) द्वारा आयोजित इंडिया पॉलिसी फोरम 2020 के एक सत्र में कहा कि अगर हम वाकई में एनपीए के वास्तविक स्तर को पहचाने तो अगले छह महीने में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) का स्तर काफी अप्रत्याशित होने जा रहा है।

हम समस्या में हैं और जितनी जल्दी इसे स्वीकार करेंगे, उतना बेहतर होगा। क्योंकि हमें वाकई में इस समस्या से निपटने की जरूरत है। मंगलवार को प्रकाशित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में आर्थिक सुधारों पर एक लेख का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें जनधन खातों की सफलता की बात कही गई है लेकिन कुछ अर्थशास्त्रियों की राय इससे अलग हैं। राजन ने कहा कि हमें अभी भी लक्षित लोगों को लाभ अंतरण करने में कठिनाई हो रही है। लोग अभी भी सार्वभौमिकरण की बात कर रहे हैं क्योंकि हम लक्ष्य नहीं कर सकते।

जनधन ने उस रूप से काम नहीं किया जैसा कि इसका प्रचार-प्रसार किया गया। हालांकि उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का एक सकारात्मक पहलू कृषि क्षेत्र है जो वास्तव में अच्छा कर रहा है। राजन ने कहा कि निश्चित रूप से सरकार ने सुधारों को आगे बढ़ाया है। इन सुधारों की लंबे समय से बात हो रही थी। उसके सही तरीके से क्रियान्वयन होने से अर्थव्यवस्था के बड़े हिस्से को लाभ होगा।

अर्थव्यवस्था वृद्धि को प्रोत्साहन के लिए कृषि क्षेत्र के प्रदर्शन का लाभ उठाए भारत: सुब्बाराव

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने कहा है कि मानसून अनुकूल रहने की संभावना के बीच सरकार को कृषि क्षेत्र के प्रदर्शन का लाभ उठाकर वृद्धि को प्रोत्साहन देने की जरूरत है। आर्थिक शोध संस्थान एनसीएईआर द्वारा मंगलवार को आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए सुब्बाराव ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था शहरी अर्थव्यवस्था की तुलना में कुछ बेहतर प्रदर्शन कर रही है। शहरी अर्थव्यवस्था अभी कोविड-19 संकट से जूझ रही है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था का कुल आबादी में हिस्सा 65 प्रतिशत है, जबकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उसका योगदान 25 प्रतिशत है। विस्तारित मनरेगा खर्च की वजह से ग्रामीण अर्थव्यवस्था कुछ अधिक बेहतर साबित हुई है।

सुब्बाराव ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत खर्च तथा भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा कृषि उपज की खरीद से किसानों के हाथ में पैसा आ गया है। इसके अलावा अनकूल मानसून से भी कृषि क्षेत्र की स्थिति बेहतर रहने की संभावना है। पूर्व गवर्नर ने कहा कि इन सभी कमजोर परिदृश्य के बीच कुछ अच्छी चीज भी है। देखना यह हे कि हम कैसे इसका लाभ उठाकर अर्थव्यवस्था की वृद्धि को प्रोत्साहन देते है। कृषि क्षेत्र में सुधारों के तहत सरकार ने साठ साल से अधिक पुराने आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन किया है और अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दलहन, प्याज और आलू जैसे उत्पादों को इसके नियमन के दायरे से बाहर कर दिया है।

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