नई दिल्ली। सरकारी विभागों तथा स्वायत्त निकायों की फिजूलखर्ची पर रोक लगाने के लिए मोदी सरकार ने आज बड़ा कदम उठाया है। वित्त मंत्रालय के अधीन व्यय विभाग ने एक आदेश में कहा है कि 40 लाख रुपए से अधिक खर्च वाले सेमिनार, सम्मेलन तथा कार्यशाला आयोजित करने के लिए पहले वित्त मंत्रालय की मंजूरी लेनी अनिवार्य होगी।
व्यय विभाग के कार्यालय ज्ञापन के अनुसार 40 लाख रुपए से कम के व्यय वाले सभी प्रस्तावों पर संबंधित मंत्रालय के वित्तीय सलाहकार से मंजूरी लेना आवश्यक होगा। ज्ञापन के अनुसार यह निर्णय किया गया है कि जिस अंतरराष्ट्रीय और घरेलू सेमिनार, सम्मेलन, कार्यशाला आदि में खर्च 40 लाख रुपए से अधिक बैठता है, उसकी मंजूरी व्यय विभाग से पूर्व में लेना अनिवार्य होगा।
इस ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि विभागों को यात्रा और रहने के खर्च के मामले में अधिकतम मितव्ययिता बरतनी चाहिए और लागत कम से कम रखनी चाहिए। ज्ञापन के अनुसार व्यापार को बढ़ावा देने वाले तथा ब्रांड इंडिया की परियोजना को छोड़कर विदेशों में प्रदर्शनी, मेले, सेमिनार, सम्मेलन और कायर्शालाओं के आयोजन से बचना चाहिए।