नई दिल्ली। बैंक का कर्ज यदि नहीं लौटाया तो कर्ज लेते समय गारंटी स्वरूप रखी गई संपत्ति अथवा प्रतिभूति को बैंक जब्त कर सकता है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ऐसे प्रावधान वाले कानून को मंजूरी दे दी। इस कानून का मकसद बैंकों के कर्ज की वसूली में तेजी लाना और फंसे कर्ज का समाधान करना है। अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रपति ने प्रतिभूति हित का प्रवर्तन और ऋण वसूली कानून एवं विविध प्रावधान (संशोधन) कानून, 2016 को मंजूरी दे दी है और इसे अधिसूचित कर दिया गया है।
ऋण वसूली कानून एवं विविध प्रावधान (संशोधन) कानून, 2016 में चार कानूनों- वित्तीय अस्तियों का पुनर्गठन एवं प्रतिभूतिकरण और प्रतिभूति हित का प्रवर्तन (सरफेइसी) कानून, 2002, बैंकों और वित्तीय संस्थानों के ऋणों की वसूली (आरडीडीबीएफआई) कानून, 1993, भारतीय स्टांप कानून, 1899 तथा डिपोजिटरीज कानून 1996 में संशोधन किया गया है। साथ ही कर्ज वसूली न्यायाधिकरण (डीबीटी) द्वारा बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों के लंबित मामलों के त्वरित निपटान के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है। अधिकारियों के अनुसार नया कानून कृषि भूमि के लिये कर्ज लेने के साथ-साथ छात्रों को दिये जाने वाले कर्ज पर लागू नहीं होगा। लोकसभा ने इसे एक अगस्त को पारित किया जबकि राज्यसभा ने नौ अगस्त को इसे मंजूरी दी थी।
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विजय माल्या पर बैंकों के 9,000 करोड़ रुपए बकाये तथा उनके देश से बाहर चले जाने के मामले के लिहाज उक्त कानून का बनना अहम है। सरफेइसी कानून में बदलाव ऋणदाताओं के कर्ज नहीं लौटाने की स्थिति में उसके एवज में गिरवी रखी चीजों को जब्त करने का अधिकार देता है। वहीं आरडीडीबीएफआई कानून डीआरटी के पीठासीन अधिकारियों की सेवानिवृत्ति उम्र को 62 से बढ़ाकर 65 करता है। यह चेयरपर्सन की सेवानिवृत्ति आयु को भी 65 से बढ़ाकर 67 करता है। यह पीठासीन अधिकारियों तथा चेयरपर्सन को पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र बनाता है। कानून में यह भी प्रावधान है कि वित्तीय संपत्ति (कर्ज एवं गिरवी) के अंतरण के लिये संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों के पक्ष में सौदों पर स्टांप शुल्क नहीं लगाया जाएगा।