नई दिल्ली। अखबार की सुर्खियों से लेकर टीवी चैनल के डिस्कशन तक Gold की कीमतों में जारी गिरावट का मुद्दा छाया हुआ है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस साल सोने की कीमतें अब तक करीब 9.5 फीसदी गिर चुकी हैं, इस गिरावट के आगे निकट भविष्य में रुकने के अनुमान लगाने से भी विशेषज्ञ फिलहाल कतरा रहे हैं, इसकी मुख्य वजह 15 दिसंबर को अमेरिका में ब्याज दरों को लेकर होने वाली फेड की बैठक है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि अगर फेड ब्याज दरें बढ़ाने का निर्णय लेता है तो निश्चित तौर पर सोने की कीमतों में गिरावट का एक नया दौर यहां से शुरू होगा। लेकिन गिरावट के इस माहौल में एक बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि क्या भारतीय खरीदारों को सस्ते सोने का पूरा फायदा मिल पाएगा। पिछले आंकड़े और अनुमान का गणित तो इस ओर इशारा नहीं करता है।
क्यों गिर रही हैं लगातार सोने की कीमतें
सोने की कीमतें 6 साल के निचले स्तर पर आ गई हैं। वहीं, नवंबर का महीना सोने के लिए पिछले ढाई साल में सबसे खराब साबित हुआ है। अमरिका में ब्याज दरें जल्द बढ़ने की संभावना के चलते पिछले महीने सोने में करीब 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जो कि जून 2013 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है। इस गिरावट की प्रमुख वजह डॉलर में मजबूती, निवेशकों की बिकवाली और शेयर बाजार में तेजी है। दुनिया की सबसे बड़ी गोल्ड ईटीएफ एसपीडीआर गोल्ड ट्रस्ट की होल्डिंग 7 साल के निचले स्तर पर फिसल गई है। वहीं इंडेक्स 8 महीने के ऊंचाई पर है।
आगे गिरावट कहां तक जारी रहने का अनुमान
फाइनेंसियल सर्विसेज फर्म INTL FCStone के एनालिस्ट एडवर्ड मेयर ने कहा कि फेड की बैठक से पहले निवेशक सोने से अपना पैसा निकाल रहे हैं। वहीं, प्रमुख करेंसी के मुकाबले डॉलर में लगातार तेजी देखने को मिल रही है। सोमवार को डॉलर इंडेक्स 8 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। ऐसे में सोना 1,000 डॉलर प्रति औंस का स्तर दिखा सकता है। एमकेएस ग्रुप के ट्रेडर सैम लाफलिन ने कहा कि सोना 2010 के 1045 डॉलर प्रति औंस के स्तर को तोड़ सकता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना सोमवार के कारोबारी सत्र के दौरान 1052.1 के स्तर तक फिसल गया, जो कि फरवरी 2010 के बाद का निचला स्तर है। घरेलू बाजार में कीमत 25,000 रुपए तक आने की संभावना है। बाजार की नजर अब शुक्रवार को आने वाले अमेरिका के नॉन-फार्म पेरोल पर टिकी है। मजबूत डेटा ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी में सहायक साबित हो सकता है।
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क्यों नहीं मिल रहा भारतीय खरीदारों को पूरा फायदा
कोलकता के ज्वैलर हर्षद राय ने बताया कि कमजोर रुपए के कारण घरेलू बाजार में सोने की कीमतें इतनी नहीं घटी हैं, जितनी अंतरराष्ट्रीय बाजार में घटी हैं। यही वजह है कि नंवबर के पहले 15 दिनों में दिवाली को देखते हुए लोगो ने खरीदारी की थी, लेकिन उसके बाद डिमांड घट गई है। डॉलर के मुकाबले रुपए में इस साल 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इसका असर सोने की कीमतों पर साफ दिखाई दे रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 9.5 फीसदी के आसपास गिरा है, जबकि घरेलू बाजार में कीमतें 5.5 फीसदी कम हुई हैं। वहीं, डॉलर के मुकबाले रुपया दिसंबर अंत तक 67.50 का स्तर छू सकता है।
शादी के सीजन में खरीदारों की हो क्या रणनीति
22 नवंबर से देश में शादियों का सीजन शुरू हो चुका है। इस समय लोग सोना बड़ी मात्रा में खरीदते हैं। एकस्पर्ट्स के मुताबकि सोना खरीदने का अभी यह सही समय नहीं है। इसलिए लोगों को अपनी जरूतर के हिसाब से ही खरीदना चाहिए। अगर किसी को निवेश करना है तो थोड़ा इंतजार कर सकते हैं। दिसंबर तिमाही में सोने का इंपोर्ट साल में सबसे कम रह सकता है। इसकी प्रमुख वजह कमजोर मांग और लगातार दूसरे साल देश में सूखे जैसे हालात हैं। ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन के डायरेक्टर बछराज बमलवा ने बताया कि दिसंबर तिमाही में सोने का इंपोर्ट 150-175 टन रह सकता है। पिछले साल 201.6 टन सोना इस दौरान इंपोर्ट हुआ था।