नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि नोटबंदी और वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) से नगद लेनदेन करना मुश्किल होगा, जिसके परिणामस्वरूप टैक्स अनुपालन बेहतर होगा और टैक्स देने वालों की संख्या बढ़ेगी। जेटली ने कहा कि सरकार विदेशों में कालाधन रखने और देश के अंदर कालाधन में धंधा करने वालों तथा मुखौटा कंपनियों पर अंकुश लगाने के लिए कानून लेकर आई है।
जेटली ने कहा कि देश ने टैक्स अनुपालन नहीं होने के ढेरों मामलों और बड़े पैमाने पर व्यवस्था के बाहर होने वाले लेनदेन जैसे भारतीय चलनों का समाधान खोज लिया है। उन्होंने कहा, इस स्थिति से निपटने के लिए करीब-करीब बेबसी सी नजर आती रही है। हर साल वित्त विधेयक के मार्फत हम कुछ बदलावों की घोषणा करते थे, जिसका बहुत आंशिक असर होता था। मैं समझता हूं कि इन आंशिक बदलावों का स्थायी असर कोई बहुत बड़ा नहीं था।
उन्होंने कहा, इसलिए, एक बड़ा बदलाव लाने के लिए कई कदम उठाए जाने थे। संपूर्णता में देखने पर (हम पाते हैं कि इस) सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का दीर्घकालिक प्रभाव होगा तथा इसके पीछे व्यापक नैतिक औचित्य होगा। जेटली ने कहा, नोटबंदी और जीएसटी व्यवस्था, जो नगदी सृजन को मुश्किल बनाएगी, का शुद्ध प्रभाव व्यापक कर पालन एवं वृहद डिजीटलीकरण के रूप में सामने होगा। व्यापक डिजीटलीकरण, प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कराधार के विस्तार के शुरुआती संकेत पहले ही नजर आने लगे हैं।
वित्त मंत्रालय द्वारा आयोजित दिल्ली इकोनॉमिक्स सम्मेलन को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि इस सरकार ने जो पहला कदम उठाया, जिसने व्यवस्था को झाकझोर दिया, वह उन लोगों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई थी जिन्होंने विदेश में अपना धन छिपा रखा है। जेटली ने कहा कि भ्रष्टाचार का एक सबसे आसान तरीका हमेशा ही खोखा कंपनियों का गठन रहा है, कई स्तरों पर कंपनियों का गठन करके यह किया जाता रहा है।
उन्होंने कहा कि 500 और 1000 रुपए के नोटों को चलन से हटाने के फैसले से 15 लाख करोड़ रुपए मूल्य के पुराने नोटों को तंत्र से बाहर कर दिया गया और इस कदम का लक्ष्य कालेधन रखने वालों पर सख्त कदम उठाना था। नोटबंदी के बाद सराकर ने डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।