नई दिल्ली। शराब कारोबारी विजय माल्या द्वारा बैंकों का 9,000 करोड़ रुपए का कर्ज न चुकाना अन्य कंपनियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। ऋण न चुकाने वालों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सरकार ने सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को निर्देश दिया है कि यदि कंपनियां कर्ज का पुनर्भुगतान करने में विफल रहती हैं तो उनके प्रमोटर्स या निदेशकों की निजी गारंटी को भुनाकर कर्ज की वसूली की जाए।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों को निर्देश जारी करते हुए वित्त मंत्रालय ने अफसोस जताया कि कंपनियों द्वारा ऋण पुनर्भुगतान चूक के मामले में बहुत कम देखने में आया है कि बैंक गारंटरों से ऋण की वसूली करते हों। आरबीआई के साथ परामर्श के बाद जारी निर्देश में कहा गया है, ऐसा देखने में आया है कि ऐसे बहुत कम मामले हैं, जहां संपत्तियों की कुर्की के लिए गारंटरों के खिलाफ वसूली की कार्रवाई की गई हो। मंत्रालय ने आगे कहा, जब ऋण वसूली के कोई संकेत न दिखते हों तो गारंटरों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करना महत्वपूर्ण होगा।
बैंकों को ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) से संपर्क करने की हिदायत देते हुए मंत्रालय ने कहा कि गारंटरों के खिलाफ कार्रवाई सरफेसी कानून, भारतीय संविदा कानून और संबद्ध कानूनों के तहत की जानी चाहिए। उल्लेखनीय है कि संकटग्रस्त उद्योगपति विजय माल्या के इस महीने की शुरुआत में देश छोड़कर लंदन जाने को लेकर संसद और संसद के बाहर काफी हो-हल्ला मचा। माल्या से जुड़ी विभिन्न कंपनियों पर अलग-अलग बैंकों का 9,000 करोड़ रुपए से अधिक का ऋण बकाया है।