नई दिल्ली। दूरसंचार कंपनी वोडाफोन ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में कहा कि सितंबर 2016 में जब रिलायंस जियो ने परिचालन शुरू किया तो वह उसे इंटरकनेक्टिविटी उपलब्ध करवाने को बाध्य नहीं थी। इसके अनुसार शुरू में जियो केवल परीक्षण सेवाएं ही दे रही थी।
वोडाफोन की ओर से यह बात न्यायाधीश राजीव शकदर के समक्ष रखा गया। दूरसंचार नियामक ट्राई ने जियो को इंटरकनेक्टिविटी नहीं देने के लिए वोडाफोन पर 1050 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने की सिफारिश केंद्र को की है। वोडाफोन ने इसे चुनौती दी है।
वोडाफोन ने एक और अर्जी लगाई कि वह आरटीआई कानून के तहत हासिल किए गए कुछ दस्तावेज पेश करना चाहती है। इसके साथ ही उसने जियो की परीक्षण सेवाओं का ब्यौरा ट्राई से लेने की मांगे जाने का आग्रह किया। अदालत ने ट्राई को नोटिस जारी कर पांच सितंबर तक जवाब मांगा है।