बेंगलुरु। संकट में फंसे कारोबारी विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड ने कहा कि वह ऋण देने वाले बैंकों के समूह को 6,000 करोड़ रुपए ऋण चुकाने के लिए जिम्मेदार नहीं हैं, क्योंकि बैंकों ने दोनों पक्षों के बीच हुए मास्टर ऋण पुनर्गठन समझौते के नियम-शर्तों का उल्लंघन किया और इससे कंपनी के कारोबार को बेकार नुकसान उठाना पड़ा।
ऋण वसूली न्यायाधिकरण द्वारा माल्या और उनकी कंपनी से 6,000 करोड़ रुपए की वसूली के लिए बैंकों द्वारा दायर की गई मूल याचिका पर सुनवाई को फिर से शुरु करने के दौरान किंगफिशर के वकील ने कहा कि बैंकों द्वारा समझौते की शर्तों का उल्लंघन करने के चलते न्यायाधिकरण को बैंकों की याचिका खारिज कर देनी चाहिए। न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी सी. आर. बेनाकनाहल्ली के समक्ष किंगफिशर के वकील ने दलील दी कि ऋण दाताओं ने समझौते की धारा 54 का उल्लंघन किया। ऐसी स्थिति में उनके द्वारा किए गए नुकसान के चलते कंपनी किसी भी तरह का ऋण वापस देने के लिए प्रतिबद्ध नहीं है।
समझौते के अनुसार बैंकों को किंगफिशर कार्यशील पूंजी मुहैया करानी थी ताकि वह अपना हवाईसेवा कारोबार शुरु कर सके। बैंकों ने इस नियम का उल्लंघन किया और इसके बाद कंपनी को वित्तीय परेशानियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि बैंकों ने कार्यशील पूंजी उपलब्ध न कराकर करार का उल्लंघन किया जिसकी वजह से कंपनी को वित्तीय दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इस बीच, डीआरटी ने इस पर आदेश को 28 जुलाई तक टाल दिया है। इसे आज के लिए सुरक्षित रखा गया था।
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