नई दिल्ली। देश का चालू खाते का घाटा (कैड) चालू वित्त वर्ष में बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। नोमूरा की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। जापान की वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनी की रिपोर्ट में कहा गया है कि कच्चे तेल के बढ़ते दाम, रुपए में गिरावट और पोर्टफोलियो निवेश की निकासी ऐसी वजह हैं, जिनसे चालू खाते का घाटा बढ़ सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2018-19 में कैड 2.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 1.9 प्रतिशत रहा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में भुगतान संतुलन (बीओपी) का वित्तपोषण एक चुनौती रहेगी। बीओपी (चालू खाता जमा शुद्ध एफडीआई) का आधार नकारात्मक है और पोर्टफोलियो प्रवाह भी नकारात्मक है।
विदेशी मुद्रा के अंत: और ब्राह्य प्रवाह के बीच का अंतर कैड कहलाता है। वित्त वर्ष 2017-18 में कैड 48.7 अरब डॉलर या जीडीपी का 1.9 प्रतिशत था। यह 2016-17 के 14.4 अरब डॉलर या 0.6 प्रतिशत से कहीं अधिक है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारत का व्यापार घाटा जुलाई में 18 अरब डॉलर पर पहुंच गया है, जो पांच साल का सबसे उच्च स्तर है। निर्यात और आयात का अंतर व्यापार घाटा कहलाता है।
व्यापार घाटा चालू खाते घाटे पर दबाव बनाता है, जो अर्थव्यवस्था के लिए एक प्रमुख कारक है। जुलाई में भारत का निर्यात 14.32 प्रतिशत बढ़कर 25.77 अरब डॉलर रहा है, जबकि इस माह में आयात 43.79 अरब डॉलर का रहा है। नोमूरा के मुताबिक कमजोर वैश्विक वृद्धि परिदृश्य के कारण निर्यात के लिए जोखिम बना हुआ है, जबकि मुद्रा अवमूल्यन से निर्यातकों को कुछ राहत मिल सकती है। दूसरी ओर आयात में वृद्धि निकट भविष्य में भी बनी रहेगी।