नई दिल्ली। आगामी आम बजट 2020-2021 से ठीक पहले शनिवार को नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने आशंक व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र सरकार इस बार बजट में स्कूल शिक्षा बजट में 3 हजार करोड़ रुपए की कटौती कर सकती है। वैसे ही सरकार शिक्षा में बहुत कम धन मुहैया कराती है। इस दौरान उन्होंने राजकोषीय घाटे को लेकर अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि पहले ही बहुत राजकोषीय घाटा हो चुका है।
बनर्जी ने स्कूल शिक्षा बजट को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षा व्यवस्था सरकार का काम है, इसमें अधिकतर फंडिंग सरकार की ही होनी चाहिए, लेकिन पहले से ही इसके लिए कम फंड जारी किया जाता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा एक राज्य का विषय है। स्कूलों और शिक्षण संस्थानों को ज्यादातर राज्य सरकारों द्वारा धन मुहैया कराया जाता है। वैसे 3 हजार करोड़ रुपए की कटौती समुद्र में एक बूंद के समान है।
बता दें कुछ दिन पहले ही नोबेल पुरस्कार विजेता बनर्जी ने कहा था कि हमे बजट घाटा और लक्ष्य की प्राप्ति के बारे सोचने की जरूरत नहीं है, हमे महंगाई को भी लक्ष्य बनाने की जरूरत नहीं। अर्थव्यवस्था को थोड़ा पकने देना चाहिए। हम अब भी बहुत ही बंद अर्थव्यवस्था हैं, लिहाजा मुझे नहीं लगता है कि सरकार के लिए हाथ खोलने में कोई खास समस्या होगा। प्राइवेट सेक्टर में निवेश को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कॉर्पोरेट टैक्स को कम किए जाने पर बनर्जी ने कहा कि मुझे नहीं लगता मौजूदा समय में अर्थव्यवस्था को इससे मदद मिलेगी। कॉर्पोरेट सेक्टर फिलहाल नगदी के ढेर पर निर्भर है, लिहाजा इसकी कोई जरूरत नहीं थी।
राजकोषीय घाटे को लेकर कही ये बात
आगामी बजट से पहले राजकोषीय घाटे को लेकर बनर्जी ने कहा कि राजकोषीय घाटा बहुत बड़े अंतर के चलते पहले ही बहुत हो चुका है। इस लिहाज से देखें तो मुझे नहीं लगता है कि इसमें मामूली बढ़ोतरी करना कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय को देखते हुए मैं इस पक्ष में नहीं हूं कि राजकोषीय घाटे को टाइट कर दिया जाए। बता दें कि आगामी 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना दूसरा बजट पेश करेंगी। पिछली बार उन्होंने 5 जुलाई 2019 को बजट पेश किया था। लगातार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार का यह दूसरा बजट होगा।