नई दिल्ली। टाटा पावर, एलस्टोम इंडिया, सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी और गेल समेत 56 कंपनियां अब तक अपने निदेशक मंडल में कम से कम एक महिला निदेशक की नियुक्ति के मानदंड के अनुपालन में नाकाम रही हैं। इस बात का खुलासा प्राइम डाटाबेस की रिपोर्ट में हुआ है। सेबी के दिशानिर्देश का अनुपालन न करने वाली कंपनियों में सार्वजनिक क्षेत्र के कई उपक्रम और बैंक शामिल हैं।
बाजार नियामक के दिशानिर्देश और कंपनी अधिनियम 2013 के मुताबिक सभी सूचीबद्ध कंपनियों में एक अप्रैल 2015 से कम से कम एक महिला निदेशक की नियुक्ति अनिवार्य है। इस नियम का लक्ष्य है कंपनी के संचालन में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना। प्राइम डाटाबेस के मुताबिक एनएसई में सूचीबद्ध 56 कंपनियों ने अब तक अपने निदेशक मंडल में महिला निदेशक की नियुक्ति नहीं की है।
इन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में बीईएमएल, बीपीसीएल, हिंदुस्तान ऑर्गेनिक केमिकल्स, एचएमटी, आईओसी, एमएमटीसी, नेशनल फर्टिलाइजर्स, पावर फाइनेंस कॉर्प, सिंडिकेट बैंक, रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्प, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, स्टेट ट्रेडिंग कॉर्प और मद्रास फर्टिलाइजर्स आदि शामिल हैं। जिन प्रमुख निजी कंपनियों ने महिला निदेशकों की नियुक्ति अब तक नहीं की है उनमें लैंकों इन्फ्राटेक, डीबी कॉर्प, वलेचा इंजीनियरिंग, सर्वलक्ष्मी पेपर और सलोरा इंटरनेशनल शामिल हैं।
इस नियम की घोषणा सेबी ने सबसे पहले फरवरी 2014 में की थी और पहली बार इसकी समयसीमा उसी साल एक अक्टूबर तय की गई थी, जिसे बाद में छह माह के लिए और बढ़ा दिया गया था। तब से अधिकांश एनएसई लिस्टेड कंपनियों ने अपने बोर्ड में महिला सदस्यों को शामिल कर लिया है। रोचक बात यह है कि अधिकांश कंपनियों ने प्रमोटर परिवार की महिला सदस्यों को ही निदेशक के तौर पर नियुक्त कर इस नियम की खानापूर्ति कर दी।
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