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चीनी क्षेत्र को विनियमित करने का सरकार का कोई इरादा नहीं, एमएसपी के जरिए किसानों और छोटी इकाइयों की होगी मदद

खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार, चीनी क्षेत्र को विनियमित नहीं करना चाहती है और चीनी के लिए न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) को तय करना और चीनी मिलों के लिए स्टॉक रखने की सीमा निर्धारित करना महज किसानों, उपभोक्ताओं के साथ-साथ छोटी इकाइयां के हित के लिए किया गया है।

Edited by: Manish Mishra
Published on: June 11, 2018 20:48 IST
Sugar- India TV Paisa

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नई दिल्ली। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार, चीनी क्षेत्र को विनियमित नहीं करना चाहती है और चीनी के लिए न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) को तय करना और चीनी मिलों के लिए स्टॉक रखने की सीमा निर्धारित करना महज किसानों, उपभोक्ताओं के साथ-साथ छोटी इकाइयां के हित के लिए किया गया है। अधिकारी ने चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में किसी प्रकार की वृद्धि किए जाने से भी इंकार किया तथा सवाल किया कि चीनी जब बहुतायत मात्रा में उपलब्ध है तो उपभोक्ता उसकी ऊंची कीमत क्यों दें?

नकदी संकट से जूझ रहे चीनी उद्योग की सहायता के लिए, सरकार ने पिछले हफ्ते 30 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने और मिलों पर चीनी का मासिक स्टॉक सीमा तय करने के अलावा चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य तय करने का फैसला किया है।

प्रमुख चीनी उद्योग के संगठन इस्मा और एनएफसीएसएफ जैसे चीनी उद्योग निकायों ने चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य बढ़ाने की मांग की है। उनका कहना है कि उत्पादन लागत को पूरा करने के लिए 29 रुपए प्रति किग्रा का मूल्य अपर्याप्त है जबिक उत्पादन लागत लगभग 34 से 36 रुपए प्रति किलो बैठती है।

अधिकारी ने कहा कि फ्लोर कीमत अधिकतम कीमत नहीं हो सकती है। चीनी मिलें 25 रुपए प्रति किलो की दर से चीनी बेच रही थी अब न्यूनतम बिक्री मूल्य 29 रुपए किग्रा तय किया गया है और चीनी मिलों को चार रुपए प्रति किग्रा ज्यादा मिल रहा है। मौजूदा परिदृश्य में यह एक अच्छा मूल्य है।

अधिकारी ने कहा कि न्यूनतम एक्स-मिल कीमत को बढ़ाया नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि कल, सरकार पर उपभोक्ताओं के हित के विपरीत चीनी मिलों की मदद करने का आरोप लगाया जा सकता है।

अगर ‘फ्लोर-प्राइस’ 35 रुपए प्रति किलोग्राम तय की जाती है, तो चीनी मिलों को सात से आठ रुपए प्रति किलो और ज्यादा की कमाई हेागी लेकिन फिर खुदरा मूल्य 44 रुपए प्रति किलो हो जाएगा। एक चीनी बहुतायत वाले सत्र में, उपभोक्ता को उच्च भुगतान क्यों करना चाहिए? उपभोक्ताओं को भी कुछ लाभ मिलना चाहिए।

स्टॉक सीमा लागू करने के बारे में, अधिकारी ने कहा कि उद्देश्य चीनी क्षेत्र के विनियमन करने का नहीं है बल्कि उचित मूल्य सुनिश्चित करना था। अधिकारी ने कहा स्टाक सीमा न होने पर, " बड़ी चीनी मिलें तो सब माल बेच लेंगी लेकिन कम साधन वाली चीनी मिलें, जिनकी उत्पादन लागत अधिक है, कुछ नहीं बेच पाएंगी। सोच यह है कि समानता रहे और सभी चीनी मिलें चीनी बेच सकें।

अधिकारी ने आगे कहा कि सरकार मिलों पर गन्ना किसानों के 22,000 करोड़ रुपए से बकाए में से अधिक से अधिक का बकाया निपटाने में मिलों की मदद करने की कोशिश कर रही है।

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