नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने आज कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को एक अप्रैल 2017 से लागू करने के लिए हर तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। मंत्रालय ने इसके साथ ही जीएसटी लागू होने पर महंगाई बढ़ने की आशंकाओं को भी खारिज किया। उसका कहना है कि जीएसटी दर यदि 20 फीसदी भी रखी जाती है, तब भी मुद्रास्फीति पर असर नहीं होगा।
वित्त सचिव अशोक लवासा ने कहा, हर किसी की मदद से जीएसटी को एक अप्रैल 2017 की समयसीमा में अमल में लाने के प्रयास किए जाएंगे। इसमें मुद्रास्फीति का कोई खतरा नहीं है। राज्य और केंद्र मिलकर दर पर विचार करेंगे, जिसमें हर तरह के मुद्दों पर गौर किया जाएगा। इनमें मुद्रास्फीति से जुड़ी चिंता भी शामिल होगी।
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मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा कि यदि जीएसटी दर 18-20 फीसदी भी रहती है तो मुद्रास्फीति पर कोई खास असर नहीं होगा। सुब्रमण्यम ने कहा, हमारे आकलन के मुताबिक यदि आप 18-20 फीसदी जीएसटी दर की भी मंजूरी देते हैं तब भी मुद्रास्फीति पर औसतन कोई असर नहीं होगा। कुछ जिंसों में यहां वहां कुछ वृद्धि हो सकती है लेकिन सामान्य तौर पर और खासतौर से सबसे गरीब तबके के लिए यदि मुद्रास्फीति पर कोई असर होता है तो मुझे बहुत आश्चर्य होगा।
संविधान संशोधन विधेयक में जीएसटी दर नहीं रखी गई है। जीएसटी परिषद जिसमें कि केंद्र और राज्य दोनों का प्रतिनिधित्व होगा, जीएसटी दर पर काम करेगी। इसके बाद केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) एवं एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) जिन पर संसद के अगले शीतकालीन सत्र में चर्चा होगी, में जीएसटी दर का उल्लेख होगा।
सुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली एक समिति ने पिछले साल ज्यादातर वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए 17-18 फीसदी की मानक दर का सुझाव दिया था। साथ ही कम कीमत वाली वस्तुओं के लिए 12 फीसदी की दर जबकि बेहद मंहगी कारों, एरेटेड पेय पदार्थों, पान मसाला और तंबाकू जैसे उत्पादों के लिए 40 फीसदी कर रखने का सुझाव दिया था। इसके अलावा कीमती धातुओं के लिए 2-6 फीसदी कर दर का सुझाव दिया गया।