नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन से आसपास के क्षेत्र में गन्ने की कटाई व पेराई पर कोई असर नहीं पड़ा है और गुड़ का उत्पादन पिछले साल से 25 फीसदी ज्यादा हो रहा है। खास बात यह है कि उत्पादन ज्यादा होने के बावजूद गुड़ के दाम में पिछले साल से करीब 200 रुपये प्रति क्विंटल तेजी बनी हुई है।
देश में गुड़ उत्पादन व विपणन का सबसे बड़ा केंद्र उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरगर में गुड़ की रोजाना आवक पिछले साल से करीब 25 फीसदी ज्यादा हो रही है और यहां मांग भी तेज है। गुड़ कारोबारी बताते हैं कि किसान आंदोलन से गन्ने की कटाई और पेराई पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। उनका कहना है कि न तो लेबर की कोई कमी है और न ही किसान का कोई काम बाधित है। गुड़ उत्पादक केंद्रों में गन्ने की आपूर्ति पिछले साल से कहीं ज्यादा हो रही है क्योंकि किसानों को अच्छा भाव मिल रहा है।
मुजफ्फरगर में फेडरेशन ऑफ गुड़ ट्रेडर्स के प्रेसीडेंट अरुण खंडेलवाल ने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के सिर्फ नेता आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं किसानों का काम उससे बाधित नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि गुड़ उत्पादक केंद्रों में किसान जो गन्ना बेचते हैं उसका भुगतान उन्हें नकद में हो रहा है, इसलिए गुड़ के लिए गन्ने की आपूर्ति पर्याप्त हो रही है और किसानों को अच्छा भाव भी मिल रहा है। कारोबारियों ने बताया कि गन्ना उत्पादकों को गुड़ फैक्टरियों में गन्ने का मूल्य 280 रुपये से 300 रुपये प्रति क्विंटल मिलता है जबकि चीनी मिलों में इससे ज्यादा मिलता है। लेकिन चीनी मिलों में भुगतान देर से होता है जबकि गुड़ फैक्टरियां नकद में भुगतान करती हैं।
अरुण खंडेलवाल ने बताया कि इस समय गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश और पंजाब से गुड़ की मांग आ रही है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा कोल्ड स्टोरेज में भी गुड़ का भंडारण हो रहा है और अब तक इस सीजन में 5.60 लाख बैग (एक बैग में 40 किलो) का भंडारण कोल्ड स्टोरेज में हो चुका है। मुजफ्फरनगर में इस समय गुड़ के विभिन्न वेरायटी में चाको का भाव 1,030 से 1,111 रुपये प्रति बैग, लड्डू 1,060 रुपये से 1,125 रुपये प्रति बैग, खुरपा 1,030 रुपये से 1,045 रुपये प्रति बैग चल रहा है।