नई दिल्ली। सेकेंड हैंड सामान खरीदने या बेचने पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) नहीं चुकाना होगा, बशर्ते उसे खरीदी गई कीमत से कम कीमत पर बेचा गया हो। केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST) नियमावली 2017 के नियम 32(5) में यह प्रावधान किया गया है कि जब सेकेंड हैंड या पुरानी या प्रयुक्त वस्तुओं की खरीद-बिक्री करने वाले व्यक्ति द्वारा कर योग्य आपूर्ति उसी रूप में या ऐसे मामूली फेरबदल के बाद की जाती है, जिससे संबंधित वस्तुओं का स्वरूप नहीं बदलता है और जब इस तरह की वस्तुओं की खरीद पर कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं लिया गया हो, तो आपूर्ति का मूल्य बिक्री मूल्य और खरीद मूल्य के बीच का अंतर होगा।
जहां इस तरह की आपूर्ति का मूल्य नकारात्मक है, वहां उसे नजरअंदाज कर दिया जाएगा। इसे मार्जिन योजना के रूप में जाना जाता है। वित्त मंत्रालय द्वारा यह स्पष्टीकरण GST के अंतर्गत मार्जिन योजना को लेकर पैदा हुई आशंकाओं के संदर्भ में जारी किया गया है।
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इसमें कहा गया है कि अधिसूचना संख्या 10/2017-केंद्रीय कर (दर), दिनांक 28-06-2017, में सेकेंड हैंड या पुरानी वस्तुओं की खरीद-बिक्री करने वाले पंजीकृत व्यक्ति (जो उप-नियम (5) के तहत निर्धारित इस तरह की पुरानी वस्तुओं की बाहर आपूर्ति के मूल्य पर केंद्रीय कर का भुगतान करता है) द्वारा किसी भी ऐसे आपूर्तिकर्ता से प्राप्त की गई पुरानी वस्तुओं की राज्य के भीतर होने वाली आपूर्ति पर देय केंद्रीय कर से छूट दी गई है।
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पंजीकृत व्यक्ति द्वारा की गई बाहर आपूर्ति पर डबल टैक्सेशन से बचने के लिए यह किया गया है, क्योंकि मार्जिन योजना के तहत काम करने वाला इस तरह का व्यक्ति पुरानी वस्तुओं की खरीद पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं उठा सकता है।
इसलिए मार्जिन योजना से लाभ किसी भी ऐसे पंजीकृत व्यक्ति द्वारा उठाया जा सकता है जो सेकेंड हैंड वस्तुओं (पुरानी और प्रयुक्त खाली बोतलों सहित) की खरीद-बिक्री करता है और जो केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर नियमावली 2017 के नियम 32 (5) में उल्लिखित शर्तो को पूरा करता है।