नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल की बैठक में आज वित्त मंत्री ने कोरोना संकट की वजह से जीएसटी रिटर्न भरने में देरी पर कई तरह की राहत का ऐलान किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि जुलाई 2017 से जनवरी 2020 के दौरान शून्य कर देनदारी वाले पंजीकृत इकाइयों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का रिटर्न देर से दाखिल करने पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। जीएसटी परिषद की बैठक के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि अन्य इकाइयों के लिये जुलाई 2017 से जनवरी 2020 तक की अवधि के लिये मासिक बिक्री रिटर्न दाखिल करने में देरी पर लगने वाले शुल्क को घटाकर अधिकतम 500 रुपये कर दिया गया है।
इसके साथ ही छोटे करदाताओं को राहत देते हुए वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि 5 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर वाले करदाताओं पर रिटर्न भरने में देरी की वजह से लगने वाला ब्याज 18 प्रतिशत वार्षिक से घटाकर 9 प्रतिशत करने का फैसला लिया गया है। नियम 31 सितंबर 2020 तक के लिए लागू होगा। पिछले महीने ही वित्त मंत्री के साथ खास बातचीत में इंडियाटीवी ने जीएसटी रिटर्न में देरी का मुद्दा उठाया था, जिस पर वित्त मंत्री ने जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस बार कोई फैसला लेने की बात कही थी।
इसके साथ ही वित्त मंत्री ने जानकारी दी कि जीएसटी परिषद ने कोरोना वायरस महामारी के असर पर चर्चा की। इसके अलावा कुछ उद्योगों पर इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर से जीएसटी संग्रह पर पड़ रहे असर को लेकर भी चर्चा की गयी। जीएसटी परिषद ने वस्त्र उद्योग में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के बारे में भी बातचीत की। वहीं क्षतिपूर्ति सेस को लेकर जुलाई में चर्चा की जाएगी जीएसटी परिषद अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था पर निर्णय लेने वाली शीर्ष इकाई है।