नई दिल्ली। आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि सरकार फिलहाल पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कटौती पर विचार नहीं कर रही है क्योंकि मूल्य फिलहाल उस स्तर पर नहीं पहुंचे हैं, जहां इस तरह की कार्रवाई करने की जरूरत होगी।
पेट्रोल 55 महीने के उच्च स्तर 74.63 रुपए लीटर तथा डीजल 65.93 रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। फिलहाल, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने लगभग एक सप्ताह से पेट्रोल और डीजल की कीमत में संशोधन नहीं किया है। कंपनियों ने आखिरी बार 24 अप्रैल को पेट्रोल-डीजल की कीमतों संशोधन किया था, उसके बाद से अभी तक कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। गर्ग ने कहा कि अगर इससे घरेलू रसोई गैस के दाम बढ़ते हैं तो तेल कीमतें सरकार के वित्तीय गणित को प्रभावित कर सकते हैं। रसोई गैस एक मात्र उत्पाद है जिस पर सरकारी सब्सिडी दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा कोई प्रत्यक्ष सब्सिडी नहीं है, अप्रत्यक्ष सब्सिडी अथवा प्रभाव तब आ सकता है जब कच्चे तेल का दाम एक ऐसे स्तर पर पहुंचता है जहां एक्साइज ड्यूटी आदि में कटौती के बारे में विचार करना हो। ऐसा अभी नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि मूल्य का वह स्तर क्या होगा, जहां दाम पहुंचने पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती की जा सकती है।
गर्ग ने कहा कि अगर कीमतें ऊपर नहीं जाती हैं तो एक्साइज ड्यूटी कटौती की कोई वजह नहीं है। पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में प्रत्येक एक रुपए की कटौती से राजस्व में 13,000 करोड़ रुपए का नुकसान होता है। केंद्र सरकार पेट्रोल पर 19.48 रुपए लीटर तथा डीजल पर 15.33 रुपए लीटर एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है। इसके अलावा राज्य सरकार वैट लगाती है जो विभिन्न राज्यों में अलग-अलग है। दिल्ली में पेट्रोल पर वैट 15.84 रुपए तथा डीजल पर 9.68 रुपए है।
सरकार को उम्मीद है कि भू-राजनीतिक तनाव कम होने तथा अमेरिकी शैल गैस से तेल कीमतें नरम होंगी जो फिलहाल करीब तीन साल के उच्च स्तर पर है। गर्ग ने कहा कि मेरे हिसाब से मांग एवं आपूर्ति दोनों दृष्टिकोण से तेल कीमतों में और वृद्धि का कोई मूल कारण नहीं है। हाल में दाम में तेजी का कारण भंडार में कमी, व्यापार तनाव तथा सीरिया एवं कोरिया को लेकर भू-राजनीतिक तनाव है।