नई दिल्ली। आयकर विभाग ने ऐसे करदाताओं से टैक्स की मांग करने से बचने को कहा है जिनका TDS पहले ही काटा जा चुका है। विभाग ने अपने फील्ड कार्यालयों से उन आयकरदाताओं से कर मांग से बचने को कहा है,जिनका TDS पहले ही काट लिया गया है लेकिन इसे जमा नहीं कराया गया है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने ज्ञापन में कहा है कि उन आयकरदाताओं से सीधी कर मांग की रोक है,जिनका टीडीएस काट लिया गया है, लेकिन कटौती करने वाले ने इसे जमा नहीं कराया है। सीबीडीटी ने कहा कि इस बात को फिर दोहराया जाता है आकलन अधिकारी उन मामलों में कर मांग नहीं करेंगे जिनमें टीडीएस काटने वाले ने सरकार के खाते में इसे जमा नहीं कराया है। सीबीडीटी ने इस बारे में पिछले साल जून में क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिये थे कि जिन करदाताओं के स्रोत पर ही कर कटौती कर दी गई लेकिन कटौती करने वाले ने उसे सरकार के खाते में जमा नहीं कराया, तब करदाताओं से सीधे कर की मांग नहीं की जा सकती।
इससे पहले हाल में ही टैक्सपेयर्स की रिफंड-संबंधी बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर सीबीडीटी ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को नया आदेश जारी किया था। इस निर्देश में चालू वित्त वर्ष के दौरान लंबित सभी रिफंड मामलों को 30 दिन की निर्धारित अवधि के बजाये 15 दिन के भीतर निपटाने के लिए कहा गया है। रिफंड के लिए लंबित पड़े मामलों की बड़ी संख्या को देखते हुए सीबीडीटी ने यह आदेश जारी किया है।
इसमें कहा गया है कि टैक्स रिफंड के लंबित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए यह तय किया गया है कि आयकर कानून की धारा 245 के तहत पुष्टि के मामलों में टैक्सपेयर्स और टैक्स निर्धारण अधिकारी के लिए समय सीमा को मौजूदा 30 दिन से घटाकर 15 दिन कर दिया जाए। अभी धारा 245 के तहत टैक्सपेयर्स को नोटिस का जवाब देने के लिए 30 दिन का समय दिया जाता है और इतना ही समय बाद में सक्षम अधिकारी को डिमांड को कन्फर्म या सही करने के लिए मिलता है, इससे डिमांड को जांचने और रिफंड को जारी करने में बहुत अधिक समय लगता है। इससे शिकायतों का अंबार बढ़ता जा रहा है।