Friday, November 22, 2024
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यूबीआई, ओबीसी के विलय के बाद एसेट क्वालिटी की चिंता नहीं : पीएनबी सीईओ

पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) का कहना है कि यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) और ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी) का विलय होने पर परिसंपत्ति की गुणवत्ता (एसेट क्वालिटी) में किसी प्रकार के क्षरण की चिंता नहीं है। 

Reported by: IANS
Published on: September 23, 2019 8:48 IST
Sunil Mehta, Managing Director and CEO of PNB- India TV Paisa

Sunil Mehta, Managing Director and CEO of PNB

नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) का कहना है कि यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) और ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी) का विलय होने पर परिसंपत्ति की गुणवत्ता (एसेट क्वालिटी) में किसी प्रकार के क्षरण की चिंता नहीं है। पीएनबी इस विलय का आधार बैंक है। पीएनबी ने कहा कि उसे नहीं लगता है कि विलय के बाद परिसंपत्ति की गुणवत्ता में कोई कमी होगी। पीएनबी के अनुसार, इन तीनों बैंकों के संयुक्त स्टाफ और ग्राहकों के लिए लाभदायक स्थिति प्रदान करने के लिए समेकित कंपनी में उत्तर एचआर (मानव संसाधन), प्रक्रिया और उत्पादों का चयन किया जाएगा।

पीएनबी के प्रबंध निदेशक और सीईओ सुनील मेहता ने कहा कि विलय से संबंधित सब कुछ सुचारु ढंग से चल रहा है। हमें किसी प्रकार की चुनौती नहीं दिखती है। अन्य बैंकों ने इस काम को सफलतापूर्वक किया है और हम उसे दोहरा सकते हैं। पीएनबी और विलय होने वाले बैंकों की परिसंपत्ति की गुणवत्ता को कोई नुकसान नहीं होगा, बल्कि इसे मजबूती मिलेगी, क्योंकि उनके पास चूककर्ताओं के साथ सौदा और बातचीत करने की सामूहिक शक्ति होगी।

उन्होंने कहा, 'रोडमैप के मामले में हमने पहले ही अंतर-बैंक समितियां बनाई हैं, जो प्रत्येक बैंक के लिए बेहतरीन प्रक्रियाओं, उत्पादों और व्यवस्था बनाने के लिए एक दूसरे से बातचीत कर रही हैं और ग्राहकों के फायदे के लिए उत्तम प्रक्रिया व उत्पादों का चयन किया जाएगा। इसी प्रकार स्टाफ के लिए भी एचआर की बेतहरीन कार्यप्रणाली अपनाई जाएगी।'

विलय के बाद बनने वाली कंपनी का संचालन अप्रैल 2020 से होगा। इस समेकन प्रक्रिया के तहत तीन बैंकों का विलय एक कंपनी के रूप में होगा, जोकि 17.95 लाख करोड़ के कारोबार और 11,437 शाखाओं के साथ सार्वजनिक क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा। तीनों बैंको को हाल ही में 16,000 करोड़ रुपये की पूंजी मिली है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 19 सितंबर को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक की थी, जिसमें अप्रैल 2020 की समयसीमा को पूरा करने को लेकर बैंकों के विलय की तैयारी के साथ-साथ अन्य मसलों पर चर्चा हुई थी।

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