नई दिल्ली। सरकार ने सैटेलाइट फोन सेवाएं देने पर किसी तरह का अंकुश नहीं लगाया है और कोई भी इकाई देश में इसका परिचालन शुरू कर सकती है। दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने यह जानकारी दी। सिन्हा ने कहा कि किसी पर कोई रोक नहीं है। यह सभी के लिए खुला है। जिसकी इस क्षेत्र में रुचि है वह आगे आ सकते हैं। हालांकि, सेवा प्रदाता को देश में सैटेलाइट फोन गेटवे बनाना होगा, जिससे सुरक्षा एजेंसियां जरूरत होने पर उसके नेटवर्क में कानूनी तरीके से कॉल्स पकड़ सकें।
सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी BSNL का इरादा दो साल में देश के सभी नागरिकों के लिए सैटेलाइट फोन सेवा पेश करने का है। यह सेवा देश के किसी भी कोने में काम कर सकेगी और प्राकृतिक आपदा के समय मोबाइल सेवाएं ठप होने के बावजूद भी काम करती रहेगी। BSNL के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अनुपम श्रीवास्तव ने कहा था कि हमने अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन के पास आवेदन किया है। प्रक्रिया को पूरा करने में कुछ समय लगेगा। डेढ़ से दो साल में हम सभी नागरिकों को चरणबद्ध तरीके से सैटेलाइट फोन सेवा उपलब्ध कराने की स्थिति में होंगे।
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सार्वजनिक क्षेत्र की भारत संचार निगम लि. (BSNL) ने मामला दर मामला आधार पर सुरक्षा बलों, आपदा प्रबंधन टीम और अन्य सरकारी विभागों के लिए सैटेलाइट फोन सेवा शुरू की है। सैटेलाइट फोन सेवा के लिए दूरसंचार विभाग में यूनिफाइड लाइसेंस ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (GMPCS) सेवा के तहत प्रावधान है।
GMPCS के लिए लाइसेंस अंतर मंत्रालयी समिति द्वारा प्रस्ताव पर सुरक्षा मंजूरी के बाद दिया जाता है। अभी तक किसी भी निजी सैटेलाइट फोन सेवाप्रदाता ने नियामकीय जरूरतों तथा ग्राहक नहीं होने की वजह से इस सेवा के लाइसेंस को आवेदन नहीं किया है। देश में सैटेलाइट फोन कनेक्शनों की संख्या मात्र 4,000 है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने पूर्व में अपनी सिफारिशों में कहा था कि कॉल की ऊंची दर इस क्षेत्र के रास्ते में अड़चन है। सैटेलाइट सेवा के जरिये कॉल की दर एक डॉलर प्रति मिनट के आसपास बैठती है।
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BSNL के श्रीवास्तव ने कहा था कि सैटेलाइट फोन देश के किसी भी हिस्से में काम कर सकेंगे। यहां तक कि विमानों और जहाजों में भी। ये धरती से 35,700 किलोमीटर ऊपर उपग्रहों के सिग्नल पर निर्भर होंगे। BSNL ने INMARSAT सेवा के जरिये सैटेलाइट फोन सेवा की शुरुआत की है। वर्तमान में यह सेवा सरकारी एजेंसियों को उपलब्ध है। बाद में नागरिकों तक इसका चरणबद्ध तरीके से विस्तार किया जाएगा।