नई दिल्ली। सरकारी कंपनी एनएमडीसी ने चालू वित्त वर्ष में अपनी क्षमता का 97 प्रतिशत इस्तेमाल करते हुये 3.5 करोड़ टन लौह अयस्क का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है। कंपनी ने इसके साथ ही 2030 तक 10 करोड़ टन उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी तय किया है। कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। सरकार ने 2030 तक देश में 30 करोड़ टन इस्पात उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। इस्पात बनाने में कोयला के साथ ही लौह अयस्क सबसे महत्वपूर्ण अवयव है। एनएमडीसी के निदेशक (उत्पादन) पी के सतपति ने कहा, ‘‘चालू वित्त वर्ष में, एनएमडीसी ने लौह अयस्क उत्पादन करने की अपनी क्षमता का 97 प्रतिशत तक इस्तेमाल करने का लक्ष्य रखा है। एनएमडीसी का 2023 तक पांच करोड़ टन और 2030 तक 10 करोड़ टन उत्पादन का लक्ष्य है।’’ उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर के दौरान जहां देश का कुल लौह अयस्क उत्पादन साल भर पहले के 15.23 करोड़ टन से 27.5 प्रतिशत कम होकर 11.05 करोड़ टन रहा है, वहीं इस दौरान एनएमडीसी का उत्पादन साल भर पहले के 1.89 करोड़ टन की तुलना मे महज 4.7 प्रतिशत कम रहकर 1.8 करोड़ टन रहा।
सतपति ने लौह अयस्क की आपूर्ति और इसकी कीमत पर कहा कि खनिज की कीमतें विश्व स्तर पर बढ़ रही हैं। 62 एफई (62 प्रतिशत लौह सामग्री के साथ अयस्क) का मूल्य दिसंबर मध्य तक लगभग 172 डालर प्रति टन तक पहुंच गया। यह स्तर पिछली बार 2013 की शुरुआत में दर्ज किया गया था। उन्होंने कहा कि खासतौर से चीन में मांग वृद्धि होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस कच्चे माल की लागत बढ़ रही है। इसका प्रभाव घरेलू बाजार पर भी महसूस किया जा रहा है। ‘‘बहरहाल, यदि उद्योग के मूल्य पर नजदीकी से नजर डाली जाये तो एनएमडीसी के लौह अयस्क का दाम अभी भी आयातित लौह अयस्क मूल्य से 30 से 40 प्रतिशत नीचे है और घरेलू लौह अयस्क आपूर्तिकर्ताओं के दाम के मुकाबले यह 20 से 25 प्रतिशत सस्ता पड़ता है।’’ सतपति ने इस बात पर गौर किया कि लौह अयस्क की आपूर्ति के मामले में सामान्य स्थिति अभी नहीं बन पाई है और भारत में तथा दुनिया में माल की काफी कमी है जिससे दाम बढ़ रहे हैं। इस्पात जैसे तैयार उत्पाद के लिये ऊंची मांग होने और ओड़िशा में व्यावधान से लौहअयस्क के दाम ऊंचे हैं। इसके साथ ही वाणिज्यिक खानों में कामकाज नहीं चलने से स्थिति में और दबाव बढ़ा है।