नई दिल्ली। नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (NMCE) का विलय इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज (ICEX) में हो रहा है। नई इकाई देश का दूसरा सबसे बड़ा कमोडिटी एक्सचेंज होगा। बता दें कि यह सौदा शेयरों की खरीद के जरिए हुआ है और रिलायंस कैपिटल इसमें सबसे बड़ा इंवेस्टर है। कमोडिटी एक्सचेंज के क्षेत्र में विलय का यह पहला सौदा है और विलय के बाद यह कमोडिटी एक्सचेंज अन्य कॉन्ट्रैक्ट्स के साथ-साथ विश्व का पहला डायमंड फ्यूचर्स कांट्रैक्ट भी ऑफर करेगा। उल्लेखनीय है कि रिलायंस कैपिटल ICEX में सबसे बड़ी निवेशक है और विलय के बाद भी यह सबसे बड़ी शेयरहोल्डर बनी रहेगी।
यह भी पढ़ें : GST लागू होने के बाद महंगा हुआ रसोई गैस सिलेंडर, जानिए कितने बढ़े दाम
ICEX के एमडी और सीईओ संजित प्रसाद ने कहा कि,
इस विलय से वित्तीय मजबूती बढ़ेगी, ग्राहकों और सदस्यों का समेकन होगा, प्रोडक्ट्स की संख्या में इजाफा होगा और परिचालन भी ज्यादा बेहतर होगा। इससे ICEX को भारत के तेजी से बढ़ते कमोडिटी डेरिवेटिव्स मार्केट में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिलेगी।
विलय की इस घोषणा के बाद रिलायंस कैपिटल के शेयर BSE पर लगभग 2 फीसदी की तेजी के साथ 655.50 रुपए पर कारोबार कर रहे थे। दोनों कमोडिटी एक्सचेंजों के विलय के बाद बनने वाली इकाई में दोनों एक्सचेंजों के प्रमुख शेयरहोल्डर्स शामिल होंगे। इनमें MMTC, इंडियन पोटाश, कृषक भारती को-ऑपरेटिव (Kribhco), IDFC बैंक, इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस, रिलायंस कैपिटल, बजाज होल्डिंग्स, सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉपरेशन, पंजाब नेशनल बैंक और गुजरात एग्रो इंडस्ट्रीज शामिल हैं।
यह भी पढ़ें : GST से बढ़ेगी भारत की GDP ग्रोथ, रेटिंग सुधारने में भी मिलेगी मदद : मूडीज
विलय के बाद ICEX के शेयरहोल्डर्स की हिस्सेदारी 62.8 फीसदी होगी और NMCE के शेयरहोल्डर्स की हिस्सेदारी ICEX में 37.2 फीसदी होगी। इस विलय को दोनों कमोडिटी एक्सचेंजों के बोर्ड की मंजूरी मिल चुकी है और अगर नियामकीय मंजूरी मिल जाती है तो यह दिसंबर 2017 तक पूरा हो जाएगा।