नई दिल्ली। प्याज के दाम में भारी गिरावट आने से विशेषतौर पर महाराष्ट्र में प्याज किसानों की बढ़ती परेशानी को देखते हुए केन्द्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने व्यापारियों से निर्यात बढ़ाने को कहा है। उन्होंने कहा कि शुल्क लाभ का फायदा उठाते हुए कारोबारियों को अधिक प्याज का निर्यात करना चाहिए ताकि दाम में स्थिरता लाई जा सके। गडकरी ने कहा कि प्याज किसानों के हितों की सुरक्षा के लिए केन्द्र सरकार हर संभव कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि यदि संभव हुआ तो प्याज निर्यात पर शुल्क लाभ को 31 दिसंबर से भी आगे बढ़ाया जाएगा।
गडकरी ने कहा, सरकार प्याज किसानों की चिंताओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस संबंध में कृषि और वाणिज्य मंत्रियों के साथ विचार विमर्श किया है और किसानों को हरसंभव सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि प्याज के दाम में भारी गिरावट से प्याज उत्पादक राज्यों को नुकसान पहुंचा है। विशेषकर महाराष्ट्र में इसका असर ज्यादा है जहां किसानों को परेशानी हो रही है। गडकरी ने कहा, मौजूदा जो परिस्थितियां बनी हैं, हमने वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की है। सरकार ने ताजा और शीतगृहों में रखे प्याज के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए उस पर पांच प्रतिशत भारत से वस्तु निर्यात योजना (एमईआईएस) देने पर सहमति जताई है। यह योजना 31 दिसंबर 2016 तक उपलब्ध होगी और यदि जरूरत हुई तो इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है।
गडकरी ने व्यापारियों से कहा है कि वह दाम में स्थिरता लाने के लिए अधिक से अधिक प्याज का निर्यात करें। उन्होंने कहा कि हॉलैंड और चीन के बाद भारत प्याज का सबसे बड़ा निर्यातक है। मंत्री ने कहा कि वर्ष 2015-16 में देश से 45 करोड़ डॉलर का 12 लाख टन प्याज का निर्यात किया गया। यह निर्यात 20 से 25 रुपए किलो के औसत भाव पर किया गया। लेकिन इस साल उत्पादन अधिक होने की वजह से दाम 10 से 12 रुपए किलो रह गया है। गडकरी ने कहा, ताजा और शीतगृहों में रखे प्याज के निर्यात पर पांच प्रतिशत एमईआईएस देने को मंजूरी दी गई है। इसके बाद 3.5 लाख टन प्याज निर्यात की उम्मीद की जा रही है। गडकरी ने इसी अवसर पर किसानों से भी कहा कि वह दूसरी फसलों की तरफ भी देखें। उन्होंने किसानों से कहा कि दलहन और तिलहन के क्षेत्र में अच्छी गुंजाइश है। एशिया की सबसे बड़ी महाराष्ट्र की लासलगांव प्याज मंडी में प्याज का दाम तेजी से गिरकर 6 रुपए किलो रह गया है जबकि पिछले साल भाव 48.50 रुपए किलो था।