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Paperex 2019: गडकरी का कागज आयात कम करने पर जोर, घरेलू उद्योगों को मिले बढ़ावा

देश में विविध प्रकार के कागज उद्योग की मौजूदगी के बावजूद बड़ी मात्रा में कागज के आयात पर चिंता व्यक्त करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने घरेलू कागज उद्योग को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत बताई।

Written by: India TV Paisa Desk
Published on: December 03, 2019 18:53 IST
Nitin Gadkari । File Photo- India TV Paisa

Nitin Gadkari । File Photo

नयी दिल्ली। देश में विविध प्रकार के कागज उद्योग की मौजूदगी के बावजूद बड़ी मात्रा में कागज के आयात पर चिंता व्यक्त करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने घरेलू कागज उद्योग को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत बताई। उन्होंने कागज उद्योग में कच्चे माल के तौर पर बांस का इस्तेमाल बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि सरकार ने 'बांस मिशन' के लिए बजट में 1,300 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। 

केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को प्रगति मैदान में तीन दिवसीय कागज उद्योग प्रदर्शनी 'पेपरेक्स 2019' का उद्घाटन करते हुये कहा, 'देश में कागज के विविध क्षेत्रों की मौजूदगी के बावजूद बड़े पैमाने पर आयात हो रहा है। मैं खासतौर से छोटी कागज और पल्प इकाइयों की वृद्धि संभावनाओं को लेकर चिंतित हूं। यह क्षेत्र एमएसएमई का महत्वपूर्ण हिस्सा है।' प्रदर्शनी के उद्घाटन सत्र में गडकरी का वीडियो संदेश सुनाया गया। उन्होंने कागज उद्योग में बांस और उसके पल्प के अधिक से अधिक इस्तेमाल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बांस का उपयोग बढ़ने से कागज उद्योग और किसान दोनों को फायदा होगा। 

सम्मेलन का आयोजन इंडियन एग्रो एंड रिसाइकिल्ड पेपर मिल्स एसोसिएशन (आईएआरपीएमए) की इकाई इनपेपर इंटरनेशनल द्वारा किया जा रहा है। कागज की बढ़ती मांग के चलते 2025 तक इसकी मांग मौजूदा एक करोड़ 85 लाख टन से बढ़कर ढाई करोड़ टन तक पहुंच जाने का अनुमान है। आईएआरपीएमए के महासचिव पी जी मुकुंदन ने इस अवसर पर कहा, उभरती हुई नई जीवन शैली और पर्यावरण के अनुकूल पैकेजिंग विभिन्न प्रकार के कागज के विकास का अवसर प्रदान करते हैं। कागज उद्योग में विकास की व्यापक संभावनाएं हैं। ग्राहक अब पर्यावरण अनुकूल विकल्प के तौर पर कागज को प्राथमिकता देने लगे हैं। सिंगल यूज प्लास्टिक के बजाय कागज का इस्तेमाल बढ़ रहा है। 

जेके पेपर के प्रबंध निदेशक हर्षपति सिंघानिया पेपरेक्स 2019 के उद्घाटन सत्र में कहा, 'कागज की खपत यूरोप और अमेरिका में खपत में कमी आ रही है जबकि एशिया और लातिन अमेरिकी देशों में खपत बढ़ रही है। भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ता कागज का बाजार है।' सिंघानिया ने कहा सरकार एकबारगी इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक को कम करने का आग्रह कर रही है। ऐसे में इसकी मांग को पूरा करने के लिए कागज उद्योग को नवीन विकल्प विकसित करने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि अन्य कागज उत्पादक देशों में कच्चे माल की लागत काफी कम है जिसकी वजह से प्रतिस्पर्धा में कइ जगह भारतीय कागज उद्योग मांग में पिछड़ जाता है।

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