नयी दिल्ली। सरकारी शोध संस्थान नीति आयोग शुक्रवार को जनसंख्या के स्थिरीकरण पर विचार के लिए एक बैठक का आयोजन करेगा। आयोग देश के परिवार नियोजन कार्यक्रम में खामियों को दूर करने के लिए एक तकनीकी पर्चा पेश करने वाला है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने पीटीआई भाषा से कहा कि यह सिर्फ विचार विमर्श है। नीति आयोग अपने दृष्टिकोण 2035 के तहत यह पर्चा तैयार कर रहा है।
आयोग ने गुरुवार को बयान में कहा कि इस बैठक में गर्भनिवारण के लिए अपनाए जाने वाले नए विकल्पों पर सुझाव आ सकते हैं। इसी तरह महिलाओं को देर से गर्भधारण के विषय में पूरी जानकारी के साथ विकल्पों का चुनाव करने के बारे में भी सुझाव उभर सकते हैं। इस बैठक का आयोजन पापुलेशन फाउंडेशन आफ इंडिया के साथ भागीदारी में किया जा रहा है। बैठक में देश की जनसंख्या नीति और परिवार नियोजन कार्यक्रमों को मजबूत करने के तौर तरीकों पर विचार होगा।
आयोग ने कहा कि भारत एक ऐसे चरण में है जहां जन्म दर कम हो रही है लेकिन इसके बावजूद आबादी बढ़ रही है। इसकी वजह यह है कि 30 प्रतिशत से अधिक आबादी युवा है। भारत की आबादी इस समय 1.37 अरब है। यह दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। आयोग ने कहा कि देश अपने सतत विकास लक्ष्य और आर्थिक आकांक्षाओं को हासिल कर सके, इसके लिए जरूरी है कि लोगों के पास परिवार नियोजन के उपायों तथा गुणवत्ता वाली परिवार नियोजन सेवाओं की पूरी जानकारी हो।
देश में जन्म दर में गिरावट आ रही है लेकिन इसके बावजूद जनसंख्या की दर बढ़ रही है क्योंकि देश की तीस फीसदी से ज्यादा आबादी युवा और प्रजनन आयु वर्ग की है। देश में इस समय करीब 3 करोड़ विवाहित महिलाएं हैं जिनकी उम्र 15 से 49 वर्ष के बीच है जिनके लिए गर्भनिरोधक उपायों और विकल्पों की काफी जरुरत है। परिवार नियोजन को सार्वभौमिक रूप से सबसे बेहतर विकास निवेश माना जाता है। भारत को अपने सतत विकास लक्ष्यों और आर्थिक आकांक्षाओं को साकार करने के लिए, यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि लोगों तक गर्भनिरोधकों और गुणवत्ता वाली परिवार नियोजन सेवाओं की पहुंच बन सके।