नई दिल्ली। नीति आयोग ने सरकार को बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट (इनविट) के लिये खुदरा और संस्थागत निवेशकों को आकर्षित करने को लेकर निवेश के लिये कर प्रोत्साहन देने और इसे ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता के दायरे में लाने का सुझाव दिया है। आयोग ने बुनियादी ढांचा से संबद्ध मंत्रालयों से विचार-विमर्श कर राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन (एनएमपी) पर रिपोर्ट तैयार की और इसे इसी महीने जारी किया।
आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा, ‘‘आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 54ईसी निवेश को लेकर सुरक्षा के तहत इनविट के लिये कर लाभ और उपयोगकर्ता के अनुकूल व्यवस्था खुदरा निवेशकों को आकर्षित करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है।’’ उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 अगस्त को 6 करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन (एनआईपी) योजना की घोषणा की। इसका मकसद बुनियादी ढांचा के लिये वित्त पोषण को लेकर बिजली, सड़क और रेलवे जैसे विभिन्न क्षेत्रों में बनी-बनायी ढांचागत परियोजनाओं को बाजार पर चढ़ाना है।’’ उन्होंने स्पष्ट किया था कि संपत्ति को बाजार पर चढ़ाने यानी मौद्रिकरण में जमीन की बिक्री शामिल नहीं है। इसके तहत पुरानी संपत्तियों को बाजार पर चढ़ाया जाएगा।
आयोग ने एनएमपी के दिशानिर्देश पुस्तिका में कहा है, ‘‘चूंकि मौजूदा नियमों के तहत ट्रस्टों को ‘कानूनी व्यक्ति’ नहीं माना जाता है, इसलिए ऋण शोधन अक्षमता और दिवाला संहिता (आईबीसी) के नियम इनविट ऋणों पर लागू नहीं होते हैं। इसलिए,कर्ज देने वालों के पास परियोजना परिसंपत्तियों के लिए प्रतिकूल हालत में कोई सहारा उपलब्ध नहीं है।’’ आयोग ने कहा कि हालांकि कर्जदाताओं के लिये वित्तीय संपत्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण तथा सुरक्षा हित प्रवर्तन कानून, 2002 (सरफेसी कानून) तथा कर्ज वसूली एवं दिवाला कानून, 1993 के तहत संरक्षण प्राप्त है, लेकिन आईबीसी नियमन के तहत प्रावधान के लागू होने से निवेशकों के लिये चीजें आसान होगी।’’ इनविट एक निवेश माध्यम है। यह म्यूचुअल फंड की तरह है। इसके तहत निवेशकों से निवेश के रूप में छोटी-छोटी राशि प्राप्त कर, उसे वैसी संपत्ति में लगाया जाता है, जिससे नकदी प्राप्त हो।
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