नई दिल्ली। नीति आयोग ने देश में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए जनहित को सर्वोपरि रखते हुये मुनाफे के लिये काम न करने वाले (नॉट-फॉर-प्रॉफिट) अस्पतालों को दिये जाने वाले दान पर 100 प्रतिशत आयकर छूट और कम ब्याज दर पर कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराने का सुझाव दिया है। आयोग ने मंगलवार को ‘नॉट-फॉर प्रॉफिट हॉस्पिटल मॉडल इन इंडिया’ विषय पर रिपोर्ट में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रबंधन, सरकारी सुविधाओं के परिचालन तथा पीएसयू अस्पतालों में उच्च प्रदर्शन करने वाले सार्वजनिक-निजी भागीदारी वाले अस्पतालों को शामिल करने की वकालत की।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मान्यता प्राप्त मुनाफे के लिये काम न करने वाले अस्पतालों को दान या परमार्थ कार्य पर आयकर छूट की सीमा को 50 से बढ़ाकर 100 प्रतिशत किया जाना चाहिए। इससे अस्पतालों को अपनी जरूरत के लिए कोष मिल सकेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को जनहित में काम करने वाले ऐसे अस्पतालों को कम ब्याज दर पर कार्यशील पूंजी ऋण उपलब्ध कराने के प्रावधान पर विचार करना चाहिए। इससे जरूरत के समय इन अस्पतालों के पास पर्याप्त नकदी प्रवाह सुनिश्चित हो सकेगा। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि सरकारी योजना के लाभार्थियों के इलाज पर ऐसे अस्पतालों को भुगतान पाने में लंबा इंतजार करना पड़ता है। ‘‘यदि इन अस्पतालों को समय पर भुगतान जारी हो जाए, तो उन्हें अपने परिचालन के लिए समय पर कार्यशील पूंजी उपलब्ध हो सकेगी।’’ नीति आयोग ने सुपर-स्पेशियल्टीज को दूरदराज के क्षेत्रों में काम करने को प्रोत्साहित करने को तंत्र विकसित करने की भी वकालत की।
रिपोर्ट में नॉट-फॉर-प्रॉफिट अस्पतालों के प्रदर्शन का इंडेक्स बनाने पर भी जोर दिया गया है। इसके अलावा ऐसे अस्पतालों का राष्ट्रीय स्तर का पोर्टल या डायरेक्टरी बनाने का भी सुझाव दिया गया है। बयान में कहा गया है कि मुनाफे के लिए काम करने वाले स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बारे में पर्याप्त सूचना उपलब्ध है, लेकिन मुनाफा कमाने के लिये काम नहीं करने वाले एक प्रकार के निस्वार्थ सेवा देने वाले ‘नॉट फॉर प्रॉफिट’ अस्पतालों के बारे में विश्वसनीय सूचनाओं का अभाव है।
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