हैदराबाद। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा कि 2020-21 के बजट को राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) कानून को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसमें एुआरबीएम कानून का उल्लंघन नहीं किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी से जुड़ी एक सरलीकृत व्यवस्था एक अप्रैल से शुरू होगी और जो तकनीकी खामियां हैं, वो पूरी तरह दूर होंगी। उन्होंने कहा, 'हमने जो भी कदम उठाये हैं, एफआरबीएम काननू को ध्यान में रखकर उठाये हैं और उसका अनुपालन किया। हमने वास्तव में एफआरबीएम का उल्लंघन नहीं किया है। हम इसकी सीमा से बाहर नहीं गये हैं।'
उद्योग और व्यापार प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, 'हमने राजकोषीय अनुशासन को बनाये रखा है जो अटल बिहारी वाजपेयी सरकार और नरेंद्र मोदी सरकार दोनों की खासियत रही है।' उल्लेखनीय है कि केंद्र ने पूर्व में कहा था कि वह एफआरबीएम कानून के तहत राजकोषीय घाटे में कमी लाने और उसे 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3 प्रतिशत पर बरकरार रखने तथा प्राथमिकता घाटा को समाप्त करने को लेकर प्रतिबद्ध है। सरकार ने एफआरबीएम कानून के तहत छूट प्रावधान का उपयोग किया है। इसके तहत संरचनात्मक बदलाव और आर्थिक वृद्धि में तीव्र गिरावट समेत अर्थव्यवस्था में दबाव के दौरान केंद्र का राजकोषीय घाटा लक्ष्य से 0.5 प्रतिशत ऊपर जा सकता है।
बता दें कि, इस महीने पेश केंद्रीय बजट में राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में जीडीपी का 3.8 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है जबकि पूर्व में बजट में इसके 3.3 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी थी। राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में वृद्धि का कारण राजस्व संग्रह में कमी आना है। सीतारमण ने कहा कि बजट पिछले साल जुलाई और इस साल फरवरी के बीच तैयार किया गया। इसमें विभिन्न मंत्रालयों समेत सभी पक्षों से सुझाव लिये गये।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'संभवत: यह पहली बार है जब कई लोग मुझसे कहते हैं कि पहली बार बजट भाषण इतना लंबा था। इसके बजाए मैं इसके लिये याद रखना पसंद करूंगी कि यह जुलाई से फरवरी के बीच लंबे समय में तैयार किया गया बजट था।' सीतारमण ने कहा कि पूंजी की कमी से जूझ रहे एमएसएमई को उनसे संबंधित बैंकों के जरिये अतिरिक्त कर्ज की सुविधा दी गयी और उन्हें अतिरिक्त कार्यशील पूंजी दी गयी है।
माल एवं सेवा कर के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि एक अप्रैल से एक सरलीकृत व्यवस्था शुरू होगी। साथ ही जो तकनीकी खामियां हैं, वो भी दूर होंगी। उन्होंने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड से लोगों तक पहुंचने और उनके संदेह दूर करने को कहा है। सीतारमण ने कहा, 'मैं जीएसटी को लेकर कोई और संदेह नहीं चाहती। एक अप्रैल से हम जीएसटी को लेकर सरलीकृत अनुपालन व्यवस्था चाहते हैं, इससे प्रणाली की वजह से जो तकनीकी खामियां होती थी, उसका पूर्ण रूप से समाधान हो जाएगा।'