नई दिल्ली। एक विशेष अदालत ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाला मामले में भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी की बहन पूर्वी मोदी को सरकारी गवाह यानी अभियोजन पक्ष का गवाह बनाने की अनुमति दे दी है। मनी लांड्रिंग निरोधक कानून (पीएमएलए) के तहत मामलों को देखने वाले विशेष न्यायाधीश वीसी बर्डे ने सोमवार को सरकरी गवाह बनने को लेकर पूर्वी द्वारा दिए गए आवेदन को स्वीकार कर लिया। आदेश मंगलवार को उपलब्ध कराया गया।
अदालत ने कहा कि मामले में माफी मांगने के बाद आरोपी (पूर्वी अग्रवाल) अब सरकारी गवाह होगी। बेल्जियम की नागरिक पूर्वी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मामले में आरोपी है। अदालत ने आदेश में कहा कि आरोपी फिलहाल विदेश में रह रही है। उसे अदालत के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया जाएगा। इसके लिए अभियोजन पक्ष जरूरी कदम उठाएगा। अपने माफी आवेदन में पूर्वी मोदी ने कहा कि वह मुख्य अभियुक्त नहीं है और जांच एजेंसियों ने उसकी सीमित भूमिका ही बताई है। उसने कहा कि जरूरी सूचना और दसतावेज उपलब्घ कराते हुए प्रवर्तन निदेशालय के साथ पूरी तरह से सहयोग किया है।
जांच एजेंसियों के मुताबिक नीरव मोदी और उनके मामा मेहुल चोकसी ने कुछ बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर पंजाब नेशनल बैंक के साथ 14,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। यह धोखाधड़ी गारंटी पत्र के जरिये की गई।
7 जनवरी तक बढ़ी रिमांड
भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने एक जनवरी को लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में 28 दिन पर होने वाली नियमित रिमांड सुनवाई के लिए वीडियो लिंक के माध्यम से पेशी दर्ज कराई, जहां प्रत्यर्पण मामले में सुनवाई पूरी करने के लिए नीरव की रिमांड सात जनवरी तक बढ़ा दी गई। करीब दो अरब डॉलर के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले के मामले में वांछित हीरा कारोबारी को भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध के बाद पिछले साल ब्रिटेन में गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद से 49 वर्षीय नीरव दक्षिण-पश्चिम लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में बंद है।
अब होगी अंतिम सुनवाई
प्रत्यर्पण मामले में अंतिम सुनवाई अगले साल सात और आठ जनवरी को होनी है, जब डिस्ट्रिक्ट जज गूजी दोनों पक्षों की अंतिम दलीलों पर सुनवाई पूरी करेंगे और कुछ सप्ताह बाद अपना फैसला सुनाएंगे। जज गूजी ने नंबवर में मामले में अंतिम पूर्ण सुनवाई में सीबीआई तथा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा मुहैया कराए गए कुछ गवाहों के बयानों की स्वीकार्यता के लिए और उसके खिलाफ दलीलों पर सुनवाई की थी और व्यवस्था दी थी कि भगोड़े कारोबारी के खिलाफ धोखाधड़ी तथा धनशोधन का प्रथम दृष्टया मामला साबित करने के लिए साक्ष्य व्यापक रूप से स्वीकार्य हैं। उन्होंने कहा था कि वह खुद को किंगफिशर एयरलाइन्स के पूर्व प्रमुख विजय माल्या के प्रत्यर्पण के मामले में ब्रिटिश अदालत की पहले की व्यवस्थाओं से बंधे हुए हैं।