नई दिल्ली। नेतृत्व के संकट से जूझ रही देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस ने अपने निदेशक मंडल में भारी बदलाव करते हुए अपने संस्थापकों में से एक नंदन नीलेकणि को कंपनी का चेयरमैन नियुक्त करने की घोषणा की है। कंपनी के मौजूदा चेयरमैन आर. शेषासयी और को-चेयरमैन रवि वेंकटेशन ने अपने-अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि, वेंकटेशन एक स्वतंत्र डायरेक्टर के तौर पर बोर्ड में शामिल बने रहेंगे।
इसके अलावा मुख्य कार्यकारी अधिकारी पद से इस्तीफा देने वाले विशाल सिक्का, निदेशक मंडल के सदस्य जेफरी एस. लेहमन और जॉन एचमेंडी ने भी तत्काल प्रभाव से निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया है, जिसे स्वीकार कर लिया गया है।
आधार परियोजना को लेकर चर्चा में रहे नीलेकणि मार्च 2002 से अप्रैल 2007 तक कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे। उसके बाद वह केंद्र सरकार के भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के प्रमुख बनाए गए। नीलेकणि ने एक बयान में कहा कि इंफोसिस में लौटने पर मैं खुश हूं। नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयरमैन के रूप में मैं बोर्ड में अपने सहयोगियों और मैनेजमेंट के साथ मिलकर अपने ग्राहकों, शेयर धारकों, कर्मचारियों और समाज के लाभ के लिए एक बार फिर से पूर्व की भांति काम करूंगा।
निवर्तमान चेयरमैन शेषासयी ने नीलेकणि का स्वागत करते हुए कहा कि इस स्थिति में नंदन इंफोसिस के विकास के लिए एक आदर्श लीडर हैं। उनकी नियुक्ति से इंफोसिस आगे आने वाले वर्षों में आकर्षक अवसरों का मौद्रीकरण करने पर अपना ध्यान केंद्रित कर पाएगी। उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह इंफोसिस के पहले गैर-संस्थापक सीईओ विशाल सिक्का ने कंपनी के संस्थापक-प्रवर्तकों के साथ संबंध बिगड़ने के चलते अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया था।