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विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई में चार महीने के उच्चतम स्तर पर: पीएमआई

भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी बरकरार है। नए कारोबार ऑर्डर में बढ़ोतरी के कारण जुलाई में ग्रोथ चार महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।

Dharmender Chaudhary
Published : August 01, 2016 12:33 IST
Manufacturing PMI: जुलाई में ग्रोथ चार महीने के उच्चतम स्तर पर, नए ऑर्डर से हुआ फायदा
Manufacturing PMI: जुलाई में ग्रोथ चार महीने के उच्चतम स्तर पर, नए ऑर्डर से हुआ फायदा

नई दिल्ली। भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी बरकरार है। नए कारोबार ऑर्डर में बढ़ोतरी के कारण जुलाई में ग्रोथ चार महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। वहीं महंगाई दर पर दबाव कम होने से आरबीआई पर मुख्य नीतिगत दर कम करने का दबाव पड़ सकता है। मैन्युफैक्चरिंग परफॉरमेंस का मिक्स्ड इंडीकेटर्स, निक्केई मार्किट इंडिया परचेजिंग मेनेजर इंडेक्स मैन्युफैक्चरिंग (पीएमआई) जून-जुलाई में बढ़कर 51.8 पर पहुंच गया जो जून में 51.7 पर था। इंडेक्स का 50 से ऊपर रहना वृद्धि और इससे नीचे रहना संकुचन का संकेतक है।

मार्किट की अर्थशास्त्री और रिपोर्ट की लेखिका ने कहा, भारत की विनिर्माण अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून कीतिमही में नरमी के बाद अब 2016 की दूसरी छमाही से सुधार आ रहा है। जुलाई में उत्पादन भी बढ़ा और नए आर्डर भी बढ़ते रहे। घरेलू और वाह्य बाजारों से ज्यादा मांग के बीच कुल नया कारोबार मार्च के बाद से सबसे तेज गति से बढ़ा। रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि उत्पादन मार्च के बाद से सबसे तेजी से बढ़ा है लेकिन तैयार उत्पादों का भंडार बढ़ा है लेकिन कंपनियों रोजगार सृजन से बचती रहीं। सर्वेक्षण के दायरे में आई सिर्फ एक प्रतिशत कंपनियों ने जुलाई में अतिरिक्त कामगार नियुक्त किए जबकि ज्यादातर कंपनियों ने कहा कि उनके कर्मचारियों की संख्या में कोई बदलाव नहीं आया।

लीमा ने कहा कि रोजगार में बढ़ोतरी न होने से संकेत मिलता है कि कंपनियां वृद्धि की वहनीयता के संबंध में कुछ अनिश्चित हैं। इस बीच रिपोर्ट के विनिमय मूल्य में गिरावट से भारतीय निर्यातकों को मदद मिली। सर्वेक्षण के आंकड़े से संकेत मिलता है कि विदेश से नए ऑर्डर के मामले में जनवरी के बाद से इस महीने सबसे तेज बढ़ोतरी है। लीमा ने कहा, मुद्रास्फीति के दीर्घकालिक औसत से कम रहने के मद्देनजर कोई आश्चर्य नहीं है कि आरबीआई अगस्त की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में नीतिगत दर में कटौती करे ताकि निवेश प्रोत्साहित किया जा सके।

जून में अपनी नीतिगत समीक्षा बैठक में आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने मुद्रास्फीति दबाव बढ़ने का जिक्र करते हुए ब्याज दर को यथावत बरकरार रखा था लेकिन संकेत दिया था कि यदि मानसून से मुद्रास्फीति में कटौती में मदद मिलती है तो बाद में कटौती हो सकती है। उद्योग को अभी भी उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक निवेश बढ़ाने के लिए मुख्य नीतिगत दर में कटौती करेगा।

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