नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कहा है कि दिल्ली एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल वाहन को प्रतिबंधित करने के राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के ऐतिहासिक आदेश ने कानून का उल्लंघन किया है और वाहन की आयु निर्धारित करने का अधिकार शासन के पास है। सरकार ने दिल्ली तथा एनसीआर क्षेत्र में 10 साल पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के तीन माह बाद NGT के निर्देंशों पर विरोध स्पष्ट कर दिया है।
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भारी उद्योग मंत्रालय ने NGT के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अगुवाई वाली पीठ से कहा,
NGT का आदेश कानून के प्रावधानों से परे हैं क्योंकि ये आदेश राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 10 वर्ष से ज्यादा पुराने सभी डीजल वाहनों पर बिना किसी परीक्षण के बाध्यकारी है।
सरकार ने लिखित में कहा कि वाहन की आयु निर्धारित करने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है, जिसे गजट के जरिए अधिसूचित किया जाता है। इसलिए NGT का आदेश मोटर वाहन कानून का उल्लंघन होगा।
मोटर वाहन कानून में हैं ये प्रावधान
मोटर वाहन कानून में कहा गया है कि पंजीकरण प्राधिकारी को यह विश्वास दिलाना होगा कि वाहन जनता को खतरा पैदा करेगा और वाहन में सुधार नहीं हो सकता। मंत्रालय ने एनजीटी के आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि किसी वाहन के पंजीकरण को केवल मोटर वाहन कानून के तहत ही रद्द किया जा सकता है वो भी मालिक को नोटिस जारी कर तथा उसे इस दावे का खंडन करने का अवसर दे कर कि वाहन चलने योग्य नहीं हैं तथा इसे सुधारा नहीं जा सकता।
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मंत्रालय ने कहा कि NGT ने यह गलत टिप्पणी की है कि दिल्ली और एनसीआर में वेहिकल डेन्सिटी काफी अधिक है क्योंकि यह क्षेत्र दिल्ली तथा हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के वृहद भौगोलिक क्षेत्र को कवर करता है। मंत्रालय ने कहा कि एनसीआर में वाहन घनत्व देश के अनेक बड़े शहरों से काफी कम है।