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15 अगस्त को पतंग उड़ाने के लिए कर लें ईको फ्रेंडली मांझा की जुगाड़, NGT ने लगाई सिंथेटिक और नायलॉन धागे पर रोक

NGT ने अपने आदेश में नायलॉन और किसी भी अन्य सिंथेटिक पदार्थ से बने मांझा पर प्रतिबंध लगा दिया है जिनका विघटन जैविक तरीके से संभव नहीं है

Manoj Kumar @kumarman145
Updated on: July 11, 2017 17:37 IST
15 अगस्त को पतंग उड़ाने के लिए कर लें ईको फ्रेंडली मांझा की जुगाड़, NGT ने लगाई सिंथेटिक और नायलॉन धागे पर रोक- India TV Paisa
15 अगस्त को पतंग उड़ाने के लिए कर लें ईको फ्रेंडली मांझा की जुगाड़, NGT ने लगाई सिंथेटिक और नायलॉन धागे पर रोक

नई दिल्ली। इस बार 15 अगस्त को पंतग उड़ाने के लिए आपको ईको फ्रेंडली मांझा का जुगाड़ करना पड़ेगा। ईको फ्रेंडली मांझा नहीं होगा तो आप पतंग नहीं उड़ा सकेंगे। क्योंकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने सिंथेटिक और नायलॉन से बने मांझे पर पूरी तरह से रोक लगा दी है।

NGT ने अपने आदेश में नायलॉन और किसी भी अन्य सिंथेटिक पदार्थ से बने मांझों पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिनका विघटन जैविक तरीके से संभव नहीं है। NGT ने इस तरह के मांझा को पक्षियों, पशुओं और इंसानों की जान को खतरे में डालने वाला बताया है।

NGT के प्रमुख न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभी राज्य सरकारों को पतंग उड़ाने में इस्तेमाल में लाए जाने वाले सिंथेटिक मांझा या नायलॉन के धागों और सभी प्रकार के सिंथेटिक धागों के विनिर्माण, बिक्री, भंडारण, खरीद और इस्तेमाल पर रोक लगाने का निर्देश दिया।

हरित पैनल ने स्पष्ट किया कि प्रतिबंध का आदेश नायलॉन, चीनी और सीसायुक्त सूती मांझो पर लागू होगा। पीठ ने कहा, पतंग उड़ाने के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले नायलॉन और अन्य सिंथेटिक पदार्थों या सिंथेटिक पदार्थ की परत वाले एवं जिनका रासायनिक विघटन जैविक तरीके से करना संभव नहीं हो, से बने मांझो या धागे पर पूर्ण प्रतिबंध होगा।

निर्देश में कहा गया है, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को देशभर में पतंग उड़ाने में इस्तेमाल में लाए जाने वाले सिंथेटिक मांझोानायलॉन धागे के निर्माण एवं इस्तेमाल पर प्रतिबंध लागू करने का निर्देश दिया जाता है। पशु अधिकार संगठन पीपुल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स पेटा, खालिद अशरफ और अन्य की याचिका पर हरित पैनल ने ये आदेश दिया। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि मांझाा इंसानों और पशुओं के जीवन के लिए खतरनाक है क्योंकि हर साल इससे बड़ी संख्या में लोगों की जान चली जाती है।

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