नई दिल्ली। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय राज्यों और संघ शासित प्रदेशों की स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र रैंकिंग का अगला संस्करण 11 सितंबर को जारी करेगा। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने कहा कि यह रैंकिंग राज्यों और संघ शासित प्रदेशों द्वारा उभरते उद्यमियों को प्रोत्साहन के लिए स्टार्टअप पारिस्थतिकी तंत्र का विकास करने के लिए दी जाती है। नीतिगत समर्थन, सुगम नियमन, इनकुबेशन केंद्र, शुरुआती वित्तपोषण और उद्यम वित्तपोषण आदि क्षेत्रों में प्रदर्शन के आधार पर यह रैंकिंग दी जाती है।
अधिकारी ने कहा कि रैंकिंग तैयार है। इसे हम 11 सितंबर को जारी करेंगे। स्टार्टअप रैंकिंग रूपरेखा का मकसद राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को उनके स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के आधार पर रैंकिंग देना है। इसके जरिये राज्य और संघ शासित प्रदेश एक-दूसरे से सीखने और बेहतर व्यवहार को अपनाने को भी प्रोत्साहित होते हैं। रैंकिंग के पिछले 2018 के संस्करण में गुजरात का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा था। इसके अलावा कर्नाटक, केरल, ओडिशा और राजस्थान ने भी अच्छा प्रदर्शन किया था।
अर्थव्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार लाचार
पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कहा कि केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था के ममले में लाचार और भ्रमित है। उन्होंने 2020-21 की पहली तिमाही में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के 23.9 प्रतिशत गिर जाने को लेकर केंद्र की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि कोविड-19 संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने पर्याप्त प्रोत्साहन राशि खर्च नहीं की, ताकि अर्थव्यवस्था को गति दी जा सके।
कोविड-19 से निपटने के केंद्र सरकार के प्रयासों की आलोचना करते हुए मित्रा ने कहा कि सरकार के ‘नगण्य’ प्रोत्साहन से जीडीपी को 11 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। मित्रा ने ट्वीट किया कि केंद्र सरकार (अर्थव्यवस्था को लेकर) लाचार और भ्रमित है। दुनिया में देश की जीडीपी सबसे अधिक क्यों गिर रही है? सरकार ने अप्रैल-जुलाई 2020 में 2019-20 की तुलना में मात्र एक लाख करोड़ रुपए अधिक खर्च किया है, जबकि मीडिया में सुर्खियां 20 लाख करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज की रही। कोविड-19 से उबरने के लिए इस ना के बराबर की अतिरिक्त राशि खर्चने से देश की जीडीपी को 11 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।