सरकार गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों पर डायरेक्ट टैक्स नहीं लगा सकती, इसलिए उसने दूसरा रास्ता अपनाया है। ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) की पारंपरिक गाइडलाइंस बेस इरोजन एंड प्रोफिट शिफ्टिंग का इस्तेमाल करते हुए यह टैक्स लगाया गया है। इसके अनुसार यदि कोई भी भारतीय कंपनी एक वित्त वर्ष में अगर एक लाख रुपए से अधिक डिजिटल विज्ञापनों पर खर्च करती है तो उसे 6 फीसदी टैक्स काटकर सरकारी खजाने में जमा करना होगा। हालांकि यह टैक्स सिर्फ विदेशी डिजिटल कंपनियों के प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने पर देना पड़ेगा।
गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों का भारत में कोई परमानेंट बेस नहीं है, इसलिए इनसे सीधे टैक्स नहीं वसूला जा सकता। इसके अलावा ये कंपनियां अपने देश को अपनी इनकम पर टैक्स दे रही हैं, ऐसे में इन पर कोई ड्यूटी लगाना अंतरराष्ट्रीय अनुबंध के खिलाफ होगा। इसलिए सरकार ने इनडायरेक्ट टैक्स लगाने का फैसला किया है।
स्टार्टअप्स पर पड़ेगा नकारात्मक असर
भारतीय स्टार्टअप्स खासकर जो डिजिटल सेक्टर में हैं, वह अपने ग्राहकों का ध्यान केंद्रित करने और बिजनेस को बढ़ाने के लिए ऑनलाइन एडवरटाइजमेंट का इस्तेमाल करते हैं। गूगल ऐड और फेसबुक ऐड अभी सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली प्लेटफॉर्म हैं। 2014-15 में भारतीय एडवरटाइजर्स ने गूगल ऐड पर 4,108 करोड़ रुपए खर्च किए, वहीं 123 करोड़ रुपए फेसबुक पर ऐड के लिए खर्च हुए। गूगल और फेसबुक को अब अपनी कमाई पर 6 फीसदी टैक्स देना होगा, इससे इस बात की आशंका बढ़ गई है कि वे अपने रेट बढ़ा सकते हैं। इससे भारतीय स्टार्टअप्स की चिंता बढ़ गई है।
और भी कई सर्विस आ सकती हैं इसके दायरे में
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) द्वारा गठित एक विशेष कमेटी ने ऐसी 13 ऑनलाइन गतिविधयों को ई-कॉमर्स इंडस्ट्री के साथ जोड़कर इन पर 6-8 फीसदी टैक्स लगाने की सिफारिश की है। यदि सरकार इन सिफारिशों को मान लेती है, तो सालों से फ्री रहीं ये सारी गतिविधियां टैक्सेबल हो जाएंगी।
स्पेशल कमेटी की सिफारिश के आधार पर निम्नलिखिल ऑनलाइन गतिविधियां टैक्स के दायरे में आएंगी:
- क्लाइंट्स के लिए वेबसाइट की डिजाइनिंग और डेवलपिंग (घरेलू और अंतरराष्ट्रीय)
- डिजिटल विज्ञापन
- टीवी/रेडिया विज्ञापन के लिए उपयोग होने वाले डिजिटल टूल्स/सॉफ्टवेयर
- विज्ञापन के लिए स्थान उपलबध कराने वाली वेबसाइट
- कमर्शियल गतिविधियों के लिए उपयोग होने वाले ई-मेल
- कमर्शियल उद्देश्य के लिए उपयोग होने वाला ऑनलाइन सामग्री
- ऑनलाइन कम्यूटिंग, ब्लॉगिंग, ऑनलाइन डाटा या डिजिटल माध्यम से जुड़ी अन्य गतिविधियां
- डिजिटल सामग्री के अपलोडिंग, शेयरिंग, स्टोरिंग या डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़ी सर्विस
- म्यूजिक/वीडियो डाउनलोडिंग
- इंटरनेट से गेम्स और सॉफ्टवेयर/टूल्स डाउनलोडिंग
- ऑनलाइन पेमेंट्स/वॉलेट्स सर्विस की सुविधा