मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक के नए गवर्नर ने केंद्रीय बैंक के प्रमुख का काम आज बाकायदा शुरू कर दिया। आरबीआई मुख्यालय में शीर्ष स्तर पर पद-भार का यह हस्तांतरण बिना ताम-झाम के हुआ और मीडिया को इससे दूर ही रखा गया जबकि पिछले गवर्नर रघुराम राजन ने तीन सा पहले अपने कार्यकाल के पहले दिन ही नितियों में कई बड़े सुधार की घोषणाएं की थी। पारंपरिक तौर निवर्तमान गवर्नर अपने उत्तराधिकारी को समारोह पूर्वक पदभार सौंपते रहे हैं। इसमें संवाददाताओं और मीडिया छायाकारों को भी आमंत्रित किया जाता था। राजन ने भी जब डी सुब्बाराव से पदभार ग्रहण किया था तो इसी परंपरा का पालन हुआ था। इसके उलट पटेल ने चार सितंबर जो रविवार के दिन पदभार ग्रहण किया। आरबीआई ने इसे एक दिन बाद एक बयान के जरिए इसकी सार्वजनिक जानकारी दी। कल गणेश चतुर्थी का अवकाश था इस लिए गवर्नर के प्रभार का हस्तांतरण आज हुआ।
आरबीआई के एक प्रवक्ता ने कहा कि केंद्रीय बैंक पटेल के प्रभार संभालने के आधिकारिक समारोह के फोटो आज दिन में जारी करेगा। पटेल आरबीआई प्रमुख के तौर पर अपनी प्राथमिकताओं और कार्ययोजना के बारे में मीडिया के कब बात करेंगे या बात करेंगे या नहीं इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी है। राजन ने चार सितंबर 2013 को गवर्नर का पदभार ग्रहण करने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया था जो एक घंटे से अधिक समय तक चलेगा। उसी में उन्होंने अपनी विस्तृत कार्ययोजना की घोषणा की थी। कुछ टिप्पणीकारों ने कहा कि पटेल का शांति से प्रभार ग्रहण करना मुखर राजन के कार्यकाल के तौर तरीकों में बदलाव का संकेत हो सकता है। राजन सभी मुद्दों – आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक – पर अपनी राय रखते थे और उन्होंने केंद्रीय बैंक की ओर से ज्यादा संवाद पर बल देते थे। राजन ने अपने पहले दिन कहा था कि वह पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर जोर देंगे।
आरबीआई ने आज जारी एक बयान में कहा कि पटेल ने चार सितंबर 2016 से गवर्नर का प्रभार संभाला है। वह जनवरी 2013 से डिप्टी गवर्नर पद पर थे। गौरतलब है कि डिप्टी गवर्नर के तौर पर तीन साल का कार्यकाल पूरा होने पर 11 जनवरी 2016 को उन्हें सेवा विस्तार दिया गया था। पटेल अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष :आईएमएफ: में भी काम कर चुके हैं। पटेल 1996-1997 के दौरान आईएमएफ से प्रतिनियुक्ति पर भारत आए थे और ऋण बाजार के विकास, बैंकिंग सुधार, पेंशन सुधार और विदेशी मुद्रा बाजार के विकास के लिए सलाहकार का कार्य किया था। वह 1998 से 2001 तक वित्त मंत्रालय के सलाहकार रहे। उन्होंने भारतीय वृहद्-अर्थव्यवस्था, मौद्रिक नीति, सार्वजनिक वित्त, वित्तीय क्षेत्र, अंतरराष्ट्रीय व्यापार और नियामकीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में कई किताबें लिखी हैं।