नई दिल्ली। देश में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने और पावर सेक्टर में निवेश बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को नई पावर टैरिफ पॉलिसी को अपनी मंजूरी दे दी है। इसका मकसद रज्य की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) का बेहतर नियमन सुनिश्चित करना भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सौर परियोजनाओं के लिए 5,050 करोड़ रुपए भी मंजूर किए गए हैं।
कैबिनेट की बैठक के बाद एक सूत्र ने बताया कि मंत्रिमंडल एक नई पावर टैरिफ पॉलिसी को मंजूर किया है। इस पॉलिसी का मकसद स्वच्छ ऊर्जा को प्रोत्साहन देना, स्वच्छ भारत कार्यक्रम को समर्थन देना, बिजली वितरण कंपनियों के लिए बेहतर नियमन और बिजली क्षेत्र में तेजी से निवेश को प्रोत्साहन देना है। पॉलिसी में न केवल तेजी से निवेश बढ़ाने पर ध्यान दिया गया है, बल्कि इसमें पर्यावरण को लेकर चिंता पर भी गौर किया जाएगा साथ ही अक्षय ऊर्जा को प्रोत्साहन दिया गया है। इसके अलावा यह नियामकीय व्यवस्था को भी मजबूत करेगी, जिससे डिस्कॉम और अधिक दक्ष हो सकें और उपभोक्ताओं के प्रति अपने कर्तव्य को लेकर सावधानी बरतें।
वर्ष 2006 में केंद्र सरकार ने विद्युत कानून, 2003 के प्रावधानों के तहत नेशनल टैरिफ पॉलिसी को मंजूरी दी थी। बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने हाल में संकेत दिया था कि यह पॉलिसी स्वच्छ ऊर्जा पर ध्यान देने वाली होगी। उन्होंने कहा था कि अब हमारे सामने चुनौती 1.75 लाख मेगावाट अक्षय ऊर्जा को जोड़ने की है। हम टैरिफ पॉलिसी में कुछ और ऐसे तत्व ला रहे हैं, जिससे अक्षय ऊर्जा को प्रोत्साहन मिलेगा। पॉलिसी से स्वच्छ भारत पहल को भी प्रोत्साहन मिलेगा। पॉलिसी के तहत विद्युत संयंत्रों को निगम द्वारा शोधित बेकार जल का इस्तेमाल किया जाएगा। संयंत्र उसके 100 किलोमीटर के दायरे में उपलब्ध ऐसे पानी का इस्तेमाल कर सकेंगे।